न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानम में हुआ
चेन्नई. श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ न्यू वाशरमैनपेट के तत्वावधान एवं साध्वी साक्षीज्योति व पूजाज्योति के सान्निध्य में गुरुवार को आचार्य आनंदऋषि के जन्म जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तप-त्याग व सामूहिक एकासन के साथ तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत सजोड़े जाप का आयोजन हुआ।
इससे पूर्व पहले दिन े आचार्य के जीवन से संबद्ध प्रश्नमंच तथा दूसरे दिन बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता तथा पचरंगी सामायिक व गुणगान हुआ। इस मौके पर साध्वी ने आचार्य के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा बच्चों में संस्कार बचपन से नहीं बल्कि मां के गर्भ में रहते हुए ही शुरू हो जाते हैं, आज बच्चों में स्कूल में अध्यापक एवं घर आते ही ट्यूशन टीचर के चलते बच्चों के बीच दूरियां बढ़ गई।
माता के उन्नत संस्कारों ने ही बालक आनंद ने 13 साल की उम्र में गुरु रत्नऋषि से दीक्षा ली। गुरु के कठोर अनुशासन, त्याग व मर्यादा से ही आनंद आगे चलकर श्रमण संघ के द्वितीय आचार्य बने।
जिस प्रकार एक दीपक हजारों दीपक रोशन कर सकता है वैसे ही एक गुरु हजारों शिष्यों का ज्ञान प्रकाश से भविष्य उज्ज्वल बना सकता है। जन्म जयंती उन्हीं की मनाई जाती है जिन्होंने समाज व संघ और धर्म के लिए अपना संपूर्ण जीवन बलिदान किया हो।
साध्वी ने कहा जयंती मनाना तभी सार्थक हो सकता है जब हम महापुरुषों के गुणों को जीवन में अपनाते हुए परिवर्तन ला सकें। इस मौके पर संघ मंत्री गौतमचंद मेहता, ललित मकाना व संजय दुगड़ भी उपस्थित थे।