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पुज्य जयतिलक जी म सा के सान्निध्य में सामूहिक रक्षाबंधन

ज्ञान युवक मंडल, रायपुरम द्वारा पुज्य जयतिलक जी म सा के सान्निध्य में सामूहिक रक्षाबंधन 14 अगस्त 2022 को, रविवार जैन भवन, रॉयपुरम में मनाया गया। जो धर्म स्थान में राखी मनाने का अनुपम अवसर था। इस कार्यक्रम में रायपुरम में रहने वाले सभी भाई अपनी बहनों को तथा सभी बहुओं ने अपने भाइयों को आमंत्रित किया। करिब 200 भाई, बहनों ने बडे ही धुम धाम से रक्षा बंधन मनाया। पुज्य जयतिलक जी म सा ने मंगल पाठ सुना कर कार्यक्रम की शुरुआत की। तत्पश्चात भाई बहन का जोडी से नवकार जाप रखा गया। चंदनबाला महिला मण्डल द्वारा रक्षाबंधन पर शानदार नाटक प्रस्तुत किया। सभी बहनों ने अपने भाइयों को राखी बांधी। राखी के लिए सभी सामग्री मंडल द्वारा दी गई। सभी भाईयों ने अपनी बहन को मण्डल के सहयोग से लाल चुनरी भेंट की और बहनों ने सभी भाई को भेंट दिया। कार्यक्रम के सहयोगी पारसमलजी कोठारी, नरेन्द्र मरलेचा, श्रीमती भवंरलाल खटोड़, धनरा...

जैन धर्म का अभिनव संस्करण तेरापंथ – मुनि कमलकुमारजी

तेरापंथ धर्मसंघ के 261वें स्थापना दिवस पर विशेष जैन धर्म अनादिकाल से चला आ रहा है। परंतु तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना को 261 वर्ष हुए हैं। तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक आचार्य भिक्षु थे। उनका जन्म राजस्थान के मारवाड़ संभाग में कांठा प्रदेश के कंटालिया नगर में पिता बल्लूशाह सकलेचा, माता दीपांबाई की कुक्षी से विक्रम संवत् 1786 आषाढ शुक्ला त्रैयोदशी मंगलवार को सिह स्वप्न से हुआ। आपके माता-पिता स्थानकवासी संप्रदाय के साधु साध्वियों की खूब सेवा करते थे। पारिवारिक जनों में धार्मिक संस्कार गहरे और भरपूर थे, इसीलिए आपके परिवार से पड़दादा कपूरजी और चाचा पेमोजी ने दीक्षा ली और पड़दादाजी ने तपस्या संथारा करके अपना काम सिद्ध किया। आचार्य भिक्षु ने विक्रम संवत् 1808 मे पूज्य आचार्य रघुनाथजी के पास बगड़ी नगर के गांव बाहर वट वृक्ष के नीचे विशाल जनमेदनी में दीक्षा ग्रहण की। उस समय पूज्य प्रवर ने आपको अयाचित आ...

कोरोना सहित अनेक दुखों की मुक्ति के लिए होगा मंत्र शक्तिपात

राष्ट्रसंत डॉ  वसंत विजय जी म.सा. द्वारा गुरु पूर्णिमा पर दिव्य मांगलिक आशीर्वाद 5 जुलाई रविवार को रात में 8:40 से कृष्णगिरी। तमिलनाडु प्रांत के विश्वविख्यात श्री पार्श्व पद्मावती शक्ति पीठ तीर्थ धाम के पीठाधीपति, यतिवर्य, राष्ट्रसंत, सिद्धि सम्राट परम पूज्य डॉ वसंत विजय जी महाराज साहेब आगामी 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मंत्र शक्तिपात के माध्यम से विश्व कल्याण के लिए दुनिया भर के लोगों को अपना दिव्य चमत्कारिक आशीर्वाद प्रदान करेंगे। राष्ट्रसंतश्रीजी यूट्यूब चैनल थॉट योगा (thought yoga) के माध्यम से अगले रविवार की रात्रि विशेष मुहूर्त समय 8:40 बजे से लाइव होकर विश्व भर में वैश्विक महामारी कोरोना व विविध बीमारियों, अनेक आर्थिक परेशानियों सहित पीड़ाओं इत्यादि से मुक्ति व सुख-समृद्धिदायक मांगलिक आशीर्वाद प्रदान करेंगे। विशिष्ट मंत्रों की श्रंखला श्रवण कर घरों में रहते हुए ही श्रद्धालु ...

असाधारण व्यक्तित्व ही, असाधारण को चरितार्थ करता हैं : नरेन्द्र मोदी

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ह्रदयोद्गार आचार्य श्री महाश्रमणजी, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्रीमान् सुरेशचन्द गोयलजी और टेक्नोलॉजी के माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़े हुए सभी महानुभाव, सभी साथी। यह हम सभी का सौभाग्य है कि *संत प्रवर आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की जन्म शताब्दी के पवित्र अवसर पर हम सब एक साथ जुड़े।* उनकी कृपा, उनके आशीर्वाद को, आप भी, मैं भी और हम सभी अनुभव कर रहे हैं। संत प्रवर आचार्य श्री महाप्रज्ञजी उनको आज नमन करते हुए, उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए, मैं आप सभी को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आचार्य श्री महाश्रमणजी को भी विशेष रूप से नमन करता हूँ, उन का धन्यवाद करता हूँ। *कोरोना की परिस्थिति के बीच में भी, उन्होंने इस कार्यक्रम को टेक्नोलॉजी के जरिए इतने प्रभावी ढंग से आयोजित किया हैं।* *आचार्य श्री क...

जिनवाणी की महिमा, ज्ञान के प्रचार-प्रसार करने का दिन है ज्ञानपंचमी: साध्वी कंचनकंवर

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर व  साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधाÓ के सानिध्य में साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषाÓ ने ज्ञानपंचमी पर प्रवचन में कहा कि अज्ञान का अंधकार भयानक, दुखदायी है जिसे सैकड़ों सूर्य मिलकर भी मिटा नहीं सकते। वे गुरु महान उपकारी हैं जो ज्ञानदान देकर अज्ञान के अंधकार को दूर करते हैं। भूखे को भोजन, अंधे को नेत्रदान से भी ज्यादा ज्ञानदान का महत्व है। प्रभु महावीर का निर्वाण और गौतमस्वामी का केवलज्ञान होना एक ज्ञानसूर्य का अस्त और दूसरे का उदय है। पंचमी को पूर्णतिथि और आदीतिथि कहते हैं, इसमें जो भी कार्य किया जाए वह सानन्द संपन्न होता है। ज्ञानपंचमी के दिन ही सुधर्मास्वामी ने प्रभु महावीर के पाट पर विराजित होकर उनके अवरुद्ध ज्ञान को आगे बढ़ाया। नवदीक्षितों को ज्ञानार्जन ज्ञानपंचमी के दिन शुरू कराने की श्रुतानुश्रुत परम्परा चलती थी। 14 पूरब का ज्ञ...

बाबा बुढानाथ मंदिर में राम कथा ज्ञान यज्ञ

बिहार/भागलपुर: भागलपुर के द्वारा आयोजित चौथे दिन के रामकथा में समिति के मुख्य संगरक्षक पंडित विजय शंकर चतुर्वेदी “बाल व्यास जी महाराज ” ने अपने कथा में बोले कि रामजी के वनलीला राष्ट्र कल्याण की भावना से प्रेरित है। कठोर आतंकवाद के दक्षिण भारत विशेष प्रभावित था। राम ने पिछड़ी जातियों का एक संगठन समूह बनाया और वानर भालुओं का समूह एकत्रित कर के रावण के आतंकवाद को समाप्त किया। काशी से पधारे मानस भास्कर पंडित विधासागर जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान बताया कि भगवान को भी भक्तों के भाव मे गंगा के किनारे खड़े खड़े होकर नाव की मांग की जबकि श्रीराम के नाम लेने से जीव भवसागर से पार हो जाता है। जिस राम के चरण से गंगा निकली क्या वह परमात्मा गंगा पार नही हो सकते थे लेकिन समाज मे जात पात भेद भाव को मिटाने के लिए श्रीराम ने जाति के केवट से नाव की मांग किया। भगवान संसार मे दो जगह मिले पहले ज्ञान...

सनातन संस्कृति को बचाने में दें योगदान : परशुरामगिरीजी महाराज

विश्वकर्मा मंदिर में हुआ प्रवचन व सत्कार कार्यक्रम बेंगलुरु। भारत साधु समाज राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष, जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय मंत्री श्री मठ कनाना-बाड़मेर के मठाधीशश्री परशुरामगिरीजी महाराज के रविवार को यहां बेंगलुरु आगमन पर स्वागत सत्कार कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रकाश सिंह राजपुरोहित ने बताया कि यहां श्री विश्वकर्मा मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में आयोजक चौधरी मानाराम तेजाराम दलाजी सोलंकी आलासन-जालौर परिवार के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में परशुरामगिरी जी ने कहा कि किसी भी धार्मिक-सामाजिक आयोजनों के पीछे व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि त्यौहार कोई भी मनाए हमारी सनातन संस्कृति पर अंगुली नहीं उठनी चाहिए। आगामी दिनों में आने वाले दीपोत्सव पर्व को उल्लास पूर्वक तथा मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना व अनेक प्रकार के व्यंजन भोग लगाकर स्वयं खाएं व परिजनों-मित्रों को प...

नेकी और आध्यात्मिक की साधना में रहे रत : आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया – संसार में पुनर्जन्म होता है। जैन धर्म के कर्मवाद के सिद्धांत के आधार पर अलग-अलग जन्मों में पूर्व कर्मों को भोगना पड़ता है। व्यक्ति को यह ध्यान रखना चाहिए कि बुरे काम से बचकर अच्छे काम करने चाहिए। अगर पुनर्जन्म है तो अच्छे कर्मों का फल मिलेगा और अगर पुनर्जन्म नहीं है तो बुरे काम न करने से अच्छा ही होगा, नुकसान बिल्कुल नहीं होगा। व्यक्ति को पुनर्जन्म को मानकर नेकी और अध्यात्म की साधना करते रहना चाहिए। आचार्य प्रवर ने फरमाते हुए कहा कि जो लोग इंद्रिय और मन के लोभ में आसक्त रहते हैं उनको सहजानंद नहीं मिल सकता है। विषयों के भोग में रहने से क्षणिक आनंद प्राप्त हो जाएगा परंतु सहजानंद प्राप्त करने के लिए भौतिक सुखों को एवं आसक्ति को त्यागना ही पड़ता है। आचार्य प्रवर ने साधु-साध्वियों को प...

भौतिक सुखों से अधिक आंतरिक सुखों का महत्व : आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता महातपस्वी युगप्रणेता आचार्य श्री महाश्रमणजी ने महाश्रमण समवशरण से संबोधी ग्रंथ के माध्यम से उपस्थित श्रावकों को संबोध प्रदान करते हुए  कहा कि हर प्राणी की आकांक्षा होती है कि वह सुखी रहे और इस दिशा में वह प्रयत्न भी करता है। कभी-कभी सुख प्राप्त करने के लिए सुविधा का उपयोग करता है और उससे एक समय पश्चात दुख प्राप्त होने लग जाता है क्योंकि सुविधा से क्षणिक सुख मिलता है और फिर वह कष्टकारी हो जाती है। आचार्य प्रवर ने हुए कुएं और कुंड का पानी का उदाहरण देते हुए कहा कि कुएं का पानी आंतरिक सुख के समान है और कुंड का पानी बाहरी सुखों के समान है। प्रवचन में अणुविभा और सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट के संयुक्त राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर आचार्य प्रवर ने उद्बोधन देते हुए कहा कि विद्वानों के व्यक्तित्व की अपनी महिमा होती है। उनके तथ्य में वजन हो सकता ह...

शरद पूर्णिमा पर जप-आराधना का है खूब महत्व :  राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजय जी म.सा.

नगर निगम इंदौर के अपर आयुक्त एमपीएस अरोरा दंपति ने लिया संतश्री का आशीर्वाद  इंदौर। विश्वविख्यात कृष्णगिरी शक्तिपीठाधिपति, राष्ट्रसंत, परमाचार्यश्री डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा शरद का अर्थ होता है बहुत सारा सुख। शरद पूर्णिमा के महत्व का बखान करते हुए उन्होंने कहा आज के इस पावन दिवस पर की गई जप आराधना का खूब महत्व है। संतश्री ने कहा, इस संसार में सुखी कोई नहीं है मगर दुख मिटाने के जतन भी पूर्ण समर्पण, सेवा भक्ति और विश्वास के साथ नहीं करना चाहता है। व्यक्ति को सद्गुणी बनने, दुर्व्यसनों को त्यागने के साथ ही जीवन को सही मार्ग पर लाने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि तभी उनके सांसारिक जीवन में उच्च कोटि का परिवेश बनेगा। उन्होंने सदैव सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी तथा कहा कि बुरे विचार से ही व्यक्ति के जीवन में दुख संकट आते हैं। सुख, शांति एवं समृद्धि के मन के प्रतिपल के विचार ह...

संयम का पालन करने वाले होते विरले व्यक्ति : मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार

दीक्षार्थीं भाईयों का आयोजित हुआ मंगलभावना समारोह श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में दीक्षार्थीं मुमुक्षु कुणाल सावनसुखा एवं मुमुक्षु खुश बाबेल का अभिनन्दन एवं मंगलभावना समारोह मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमारजी एवं मुनि श्री रमेशकुमार के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में मनाया गया|    मुमुक्षुओं के भावी आध्यात्मिक जीवन की मंगलकामना प्रेचित करते हुए मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार ने कहा कि जीवन में व्रत एवं त्याग का सर्वोपरी महत्व है|व्रत का दूसरा नाम संयम हैं| गृहस्थ असंयम का जीवन जीता हैं| कुछ गृहस्थी व्रती श्रावक भी होते है, परन्तु पूर्ण संयमी नहीं होते| पूर्ण संयम का पालन करने वाले विरले ही होते हैं|    प्रवचन प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए मुनि श्री ने कहा कि मुमुक्षु कुणाल और मुमुक्षु खुश दोनों चेन्नई के ही हैं| आचार्य श्री महाश्रमणजी के चेन्नई चातुर्मास में दोनों को वैराग्...

रिस्तो की मजबूती के लिए लचीलापन जरूरी: साध्वी सिद्धिसुधा

चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने श्रीपाल मैन चारित्र के माध्यम से कहा जिस प्रकार सोना अग्नि से तपकर विशुद्ध हो जाता है वैसे ही तप रूपी अग्नि से तपकर मानव का व्यक्तित्व भी निखरता है, आत्मा का सौंदर्य झलकता है। तप वह सूंदर प्रक्रिया है जिससे मानव अपने आत्म स्वरूप को सहज ही प्राप्त कर लेता है। इसलिए तप की बात आने पर कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।  साध्वी सुविधि ने कहा वर्तमान में लोगों के अंदर सहनशीलता और विनम्रता नहीं होने की वजह से उनके अच्छे रिस्ते भी टूट जाते है। सहन करने की ताकत और विनम्रता नहीं होने की वजह से एक ही घर में रहने के बाद भी परिवार में आपसी संबंध अच्छे नहीं होते है। लेकिन सहनशीलता और विनम्रता होने पर घर परिवार, संघ समाज के अंदन मनुष्य आपसी संबंधो को मजबूत बना सकता है। इन गुणों के अभाव की वजह से आज संघ समाज के अंदर अशांति का माहौल बना है। उन्होंने ...

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