क्रमांक – 13 . *तत्त्व – दर्शन* *🔹 तत्त्व वर्गीकरण या तत्त्व के प्रकार* *👉जैन दर्शन में नवतत्त्व माने गये हैं – जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बन्ध, मोक्ष।* *🔅 अजीव तत्त्व* *जीव का प्रतिपक्षी तत्त्व अजीव है। न जीव अर्थात् जो जीव नहीं है वह अजीव है । जिसमें चेतना है वह जीव है और जिसमें चेतना नहीं है वह अजीव है। जो उपयोगवान है वह जीव है और जो अनुपयोगवान है वह अजीव है...
*विंशत्यधिकं शतम्* *📚💎📚श्रुतप्रसादम्* 🪔 *तत्त्वचिंतन:* *मार्गस्थ कृपानिधि* *सूरि जयन्तसेन चरणरज* मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. 7️⃣2️⃣ 🪔 *_💥शुभ💥_* राग जिसका प्रशस्त हो, अंतरमें अनुकंपा की वृत्ति हो, मन में कलुषित परिणाम न हो, *उसे पुण्य का आश्रव होता हैं,* *_💥अशुभ💥_* विषयों की लोलुपता हो, जीवनशैली प्रमादमय हो, मलिन मनोवृत्ति का विकार हो, परपीड़ा एवं परनिंदा से *पापकर्म का आगमन होता है...
क्रमांक – 12 . *तत्त्व – दर्शन* *🔹 तत्त्व वर्गीकरण या तत्त्व के प्रकार* *👉जैन दर्शन में नवतत्त्व माने गये हैं – जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बन्ध, मोक्ष।* *🔅 जीव तत्त्व* *जैन दर्शन के अनुसार जीव अनादि-निधन है। न इनकी आदि है और न ही इनका अन्त है। ये अक्षय और अविनाशी हैं। आत्मा अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त आनन्द और अनन्त शक्ति सम्पन्न है। द्रव्य दृष्टि से इसका स...