Author: saadhak

सांसारिक व्यवहारों में राग द्वेष से मत जुडो कर्तव्य भाव से ही जुडो

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*   *🪷प्रवचन प्रवाहक:🪷* *युग प्रभावक कृपाप्राप्त* मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.   *☀️प्रवचन वैभव☀️* 🌧️ 7️⃣4️⃣ 💫 366) सांसारिक व्यवहारों में राग द्वेष से मत जुडो.. कर्तव्य भाव से ही जुडो.! 367) कषाय हो ऐसे निमित्तो को Wide ball समझकर जाने दो, उससे टकराओ मत.! 368) विभाव से दूर रहना महान तप हैं.! 369) दूसरे किनारे पहुंचना है तो एक किनारा छोड़ना पड़ता है, वैसे ही आत...

नौ दिवसीय श्री घंटाकर्ण महावीर महादेव का विशेष प्रभावकारी जाप का शुभारंभ

आज नौ दिवसीय श्री घंटाकर्ण महावीर महादेव का विशेष प्रभावकारी जाप का शुभारंभ उप प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव श्री पीयूष मुनि जी महाराज आदि ठाणा एवं प्रतिभा पुंज गुरूणी श्री अनीता जी महाराज आदि ठाणा के पावन सान्निध्य में जैन स्थानक गुड़ मंडी जालंधर शहर में हुआ। विशेष रूप से गुरु चरणों में दर्शन प्रवचन श्रवण हेतु उपस्थित श्री सुधीर जैन कोटा राष्ट्रीय मंत्री श्री आल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रें...

अधैर्य अन्याय का कारण है

*विंशत्यधिकं शतम्* *📚💎📚श्रुतप्रसादम्* 🪔 *तत्त्वचिंतन:* *मार्गस्थ कृपानिधि* *सूरि जयन्तसेन चरणरज* मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.   7️⃣3️⃣ 🪷 तारक त्रिपदी: धैर्य, समता,गंभीरता १) बिना प्रमाणिक प्रमाण के बिना किसी पर आक्षेप न करें अर्थात *धैर्यपूर्वक* कार्य करें, *अधैर्य अन्याय का कारण है..!* २) कारण हो या कारण न हो किसी भी संजोग में किसी पर भी आक्रोश न करें अर्थात *समत्वपूर्वक* निर्णय करें, आक्रो...

युग प्रभावक कृपाप्राप्त मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*   *🪷प्रवचन प्रवाहक:🪷* *युग प्रभावक कृपाप्राप्त* मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.   *☀️प्रवचन वैभव☀️* 🌧️ 7️⃣3️⃣ ✨ 361) विचारों का परिग्रह पदार्थ त्याग को निष्फल बना देता हैं.! 362) लोभ लालच से धर्म स्वीकार करना जघन्य आशातना है.! 363) अनंत जन्मों से कर्तृत्व का व्यापार किया हाथ में फिर भी कुछ न आया.! 364) जीवन का प्रमुख कर्तव्य है आत्म स्वभावमें स्थिरता.! 365) स्वभ...

अंतर शत्रु बाह्य शत्रु अंदर में रहे हुए दोष यह हमारे अंतर शत्रु है

वितराग परमात्मा जिन्हों ने अंदर में रहे हुए अध्यात्म शत्रुओं का विनाश कर परम स्वतंत्रता परम स्वाधीनता और परम सुख की प्राप्ति की शत्रु तो बहुत है पर भगवान ने उसके भेद बताएं अंतर शत्रु बाह्य शत्रु अंदर में रहे हुए दोष यह हमारे अंतर शत्रु हैl शत्रु होते हुए भी मित्रता का दावा करते हैं कि मैं तुम्हारे साथ ही रहूं दोस्त तीन प्रकार के बताए हैंl आधिदैविक दोष यानी भाग्य की कमजोरी कोई नहीं था शांति से बैठे...

सव्वालाख “ लोग्गस्स” जाप के समापन मे “ समकित-यात्रा” हैदराबाद पहॅंचा

सव्वालाख “ लोग्गस्स” जाप के समापन मे “ समकित-यात्रा” हैदराबाद मे पहॅंचा आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण का विश्वस्त मंडल आज आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण का विश्वस्त मंडल सजोड श्रमण संघीय सलाहकार, आयंबिल आराधक पु. गुरुदेव सुमतिप्रकाश जी म.सा. उत्तर भारतीय प्रवर्तक पु. आशिष मुनीजी म.सा. के सुशिष्य प्रज्ञा महर्षि, आगम ज्ञाता डॉ. समकित मुनीजी म.सा.भवांत मुनीजी, मधुर गायक जयवंत मुनीजी म. सा . के दर्शन, प्रवचन ए...

सात अच्छे गुणो की पालना कर अपना जीवन सफल बनाइये: पंडितरत्न पु. ज्ञानमुनीजी म.सा.

सात अच्छे गुणो की पालना कर अपना जीवन सफल बनाइये !-पंडितरत्न पु. ज्ञानमुनीजी म.सा. दिनकी शुरवात तीन सकारात्मक बातोसे करे- साध्वी मुक्ता श्री जी आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ का विश्वस्त मंडल एवं महिला मंडल गुरुभगवंतोके एवं साध्वी मंडल के दर्शन हेतु पहुँचा खैरताबाद एवं अमिरपेठ ( हैदराबाद) ! प्रखर वक्ता पंडीत रत्न ज्ञानमुनीजीम. सा. ने सात अच्छे गुणोकी पालना करनेका एहलान किया ! लिया हुआ कर्जा तुर...

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का दूसरा दिवस अहिंसा दिवस के रूप में मनाया

 शारीरीक, वाचिक, मानसिक, आत्मिक भावों में हो अहिंसा : मुनि हिमांशुकुमार अहिंसामय चेतना से स्वस्थ एवं आदर्श बनता समाज : साध्वी डॉ गवेषणाश्री Sagevaani.com /चेन्नई: अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वाधान में अणुव्रत समिति, चेन्नई द्वारा अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत दूसरा दिन बुधवार को अहिंसा दिवस के रूप में दो जगह मनाया गया। ◆ तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में मुनि श्री हिमांशुकुमारजी  ने कहा कि...

जैन दर्शन में नवतत्त्व माने गये हैं – जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बन्ध, मोक्ष

क्रमांक – 13 . *तत्त्व – दर्शन*  *🔹 तत्त्व वर्गीकरण या तत्त्व के प्रकार* *👉जैन दर्शन में नवतत्त्व माने गये हैं – जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बन्ध, मोक्ष।* *🔅 अजीव तत्त्व* *जीव का प्रतिपक्षी तत्त्व अजीव है। न जीव अर्थात् जो जीव नहीं है वह अजीव है । जिसमें चेतना है वह जीव है और जिसमें चेतना नहीं है वह अजीव है। जो उपयोगवान है वह जीव है और जो अनुपयोगवान है वह अजीव है...

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा ट्रस्ट बोर्ड साहूकारपेट का वार्षिक अधिवेशन आयोजित

Sagevaani.com /चेन्नई: श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा ट्रस्ट बोर्ड साहूकारपेट का वार्षिक अधिवेशन मुनि श्री हिमांशुकुमारजी ठाणा 2 से मंगल पाठ श्रवण कर प्रबंधन्यासी श्री विमल चिप्पड की अध्यक्षता में तेरापंथ भवन में समायोजित हुआ।  उपासक एवं जैन विश्व भारती के मुख्य ट्रस्टी श्री जयंतीलाल सुराणा द्वारा नमस्कार महामंत्र के मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।  प्रबंधन्यासी श्री विमल चिप्पड ने सभी ...

मन में कलुषित परिणाम न हो

*विंशत्यधिकं शतम्* *📚💎📚श्रुतप्रसादम्* 🪔 *तत्त्वचिंतन:* *मार्गस्थ कृपानिधि* *सूरि जयन्तसेन चरणरज* मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.   7️⃣2️⃣ 🪔 *_💥शुभ💥_* राग जिसका प्रशस्त हो, अंतरमें अनुकंपा की वृत्ति हो, मन में कलुषित परिणाम न हो, *उसे पुण्य का आश्रव होता हैं,*   *_💥अशुभ💥_* विषयों की लोलुपता हो, जीवनशैली प्रमादमय हो, मलिन मनोवृत्ति का विकार हो, परपीड़ा एवं परनिंदा से *पापकर्म का आगमन होता है...

जैन दर्शन में नवतत्त्व माने गये हैं

क्रमांक – 12 . *तत्त्व – दर्शन*  *🔹 तत्त्व वर्गीकरण या तत्त्व के प्रकार* *👉जैन दर्शन में नवतत्त्व माने गये हैं – जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बन्ध, मोक्ष।* *🔅 जीव तत्त्व* *जैन दर्शन के अनुसार जीव अनादि-निधन है। न इनकी आदि है और न ही इनका अन्त है। ये अक्षय और अविनाशी हैं। आत्मा अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त आनन्द और अनन्त शक्ति सम्पन्न है। द्रव्य दृष्टि से इसका स...

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