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श्रध्दा आणि विश्वासमध्ये खूप मोठे अंतर-प.पू.रमणीकमुनीजी म.सा.

जालना : श्रध्दा ही आत्म्यातून प्रगट होते तर विश्वास हा मनातून प्रगट होतो. आणि मन हे चंचल असल्याने ते केव्हा डगमेल हे सांगता येत नाही म्हणूनच श्रध्दा आणि विश्वासमध्ये खूप मोठे अंतर आहे, असा हितोपदेश वाणीचे जादुगार श्रमण प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. यांनी येथे बोलतांना दिला. ते गुरु गणेश सभा मंडपात चार्तुमासानिमित्त आयोजित प्रवचनात श्रमणसंघीय सलाहकार, वाणीचे जादुगार प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा.बोलत होते. यावेळी विचार पिठावर अन्य साध्वींची उपस्थिती होती.                    पुढे बोलतांना श्रमणसंघीय सलाहकार, वाणीचे जादुगार, प.पू.रमणीकमुनीजी म. सा. म्हणाले की, श्रध्दाही आत्म्यातून येणारी गोष्ट आहे, तर विश्वास हा मनातून येणारा असून मन हे चंचल असल्याने त्याचा काहीही भरोसा नाही, विश्वास नाही, पुढे बोलतांना ते म्हणाले की, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर बौध्द धर्म स्वीकारण्यापूर्वी जैन धर्माचा विचार करत होते. परंतू काह...

सम्यक दर्शन-ज्ञान और चारित्र ही मोक्ष का मार्ग हैं= डाॅ. वरुण मुनि

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बेंगलुरू में चातुर्मासार्थ विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार प. पू. डॉ. श्री वरुणमुनिजी म. सा. ने अपने मंगलमय प्रवचन में फरमाया कि जैन धर्म में मुख्य रूप से चार धाराएं हैं – श्वेतांबर मूर्तिपूजक, श्वेतांबर स्थानकवासी, श्वेतांबर तेरापंथी एवं दिगंबर परंपरा । नवकार महामंत्र चारों परंपराओं में समान रूप से मान्य है । भक्तामर स्तोत्र भी चारों संप्रदाय में मान्य है किंतु इसमें कहीं 44 श्लोक, तो कहीं 48 श्लोक की मान्यता है । आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे कि श्रद्धा इस जीव या आत्मा या चेतन को कहां से कहां तक पहुंचाने में समर्थ हो सकती है ? श्रद्धा का अर्थ है- सम्यक दर्शन । यह दो शब्दों से बना है सम्यक+दर्शन । दर्शन के तीन अर्थ हैं – प्रथम अर्थ में देखना यानि प्रभु या गुरु के दर्शन करना। दर्शन का दूसरा अर्थ विचारधारा है। जैसे – बौद्ध दर्शन, जैन द...

स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में रात्रि संवर साधना

परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री हीराचंद्रजी म.सा. की नेश्राय में श्रावकों,स्वाध्यायी गणों व युवकों रात्रि संवर साधना जोधपुर में गतिमान हैं | गुरु भगवंतों की असीम कृपा एवं मार्गदर्शन से ऐसी भावना बनी है कि इस वर्ष चेन्नई चार्तुमास में प्रतिदिन श्रावक वर्ग का रात्रिकालीन संवर हों,इसमें श्रावकों,युवको, स्वाध्यायीबन्धुवरों सभी का पूर्ण सहयोग हमें मिल रहा हैं |   अनंत पुण्यवाणी से व्याख्यात्री महासती श्री सुमतिप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा 7 का चार्तुमास भी हमें प्राप्त हुआ है,यह संवर साधना उनके श्री चरणों में हम भेंट कर रहे है | श्रावक संघ तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने बताया कि संघ द्वारा निवेदन किया गया है कि अपनी अनुकूलता अनुसार सप्ताह का कोई भी दिन चयन कर लें,और उस दिन पूरे चार्तुमास काल में रात्रि संवर साधना आपको करनी है ।   जिन्होंने संवर करने की स्वीकृति प्र...

दो दिवसीय भव्य प्रदर्शनी का समापन

वन बंधु परिषद चेन्नई।महिला समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय भव्य प्रदर्शनी का समापन सामुदायिक भावना और शिक्षा के प्रति समर्पित वनबन्धु परिषद चेन्नई महिला समिति ने एफटीएस फेस्टिव फिएस्टा प्रोजेक्ट के द्वारा वनवासी बच्चों की शिक्षा के लिए धन संग्रह किया। महिला समिति इस प्रदर्शनी का आयोजन पिछले 12 वर्षों से कर रही है। लाईट ऑडिटोरियम बेन्स स्कूल में 2 दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।  इस प्रदर्शनी का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण , उद्यमियों को मंच देने एवं वनवासी बच्चों की शिक्षा में मदद करना एवं उनके मजबूत भविष्य का निर्माण कर समाज में उन्हें सशक्त बनाना है। आयोजन की मुख्य अतिथि श्रीमती नैना शाह पर्यावरण विद एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती माधुरी गोलेछा फैशन ब्लॉगर, इन्फ्लूएंसर थी। इस प्रदर्शनी में लगभग 60 स्टॉल फैशन ,ज्वैलरी खान -पान एवं महिला समिति का एफटीएस मार्ट जहाँ हम बीकानेर बनारस ,ओशिया ,इंदौर ...

अखिल भारतीय स्तर पर जैन धर्म का मौलिक इतिहास की चालीस पुस्तकों पर स्वाध्याय स्पर्धाएँ

चेन्नई सहित अखिल भारतीय स्तर पर जैन धर्म का मौलिक इतिहास की चालीस पुस्तकों पर स्वाध्याय स्पर्धाएँ आयोजित की जा रही हैं | जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर. नरेन्द्रजी कांकरिया ने बताया कि आचार्य पूज्यश्री हीराचंद्रजी महाराज की आज्ञानुवर्तिनी महासती श्री सुमतिप्रभाजी म.सा के इस वर्ष चेन्नई चातुर्मास में मासिक प्रश्न मंच कार्यक्रम आयोजित होंगे इस प्रतियोगिता में चेन्नई महानगर के अनेक क्षेत्रों से ग्रुप बनाकर भाग लेंगे | इस प्रश्न मंच का रविवार 20 जुलाई को किलपाक,चेन्नई में स्थित सामायिक स्वाध्याय भवन में शुभारम्भ होगा | महासती सौभाग्यवतीजी म.सा की प्रेरणा से यह प्रतियोगिता चातुर्मास के हर रविवार को भोपाल में महावीर जैन स्थानक में होगी व विजेताओं को पुरस्कार दिए जाएंगे | आचार्यपूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा प्रणीत ‘जैन धर्म का मौलिक इतिहास’ के भाग 1से 4 पर आधारित साहि...

भक्त से भगवान बनने की यात्रा है- भक्तामर स्तोत्र: डाॅ. वरुण मुनि

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बेंगलुरू में चातुर्मासार्थ विराजित उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज साहब ने मंगलाचरण के साथ प्रवचन सभा का शुभारंभ किया । मधुर गायक श्री रुपेश मुनि जी महाराज साहब ने अत्यंत मधुर भजन के साथ सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। तत्पश्चात दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार प. पू. डॉ. श्री वरुणमुनिजी म. सा. ने अपने मंगलमय प्रवचन में फरमाया कि हमें यह चिंतन करना है कि हम समस्या का हिस्सा बनते हैं या समाधान का ? यदि हम किसी समस्या का समाधान करने में समर्थ नहीं तो कम से कम समस्या का हिस्सा तो बिल्कुल नहीं बनें । हमें शकुनी या मंथरा की भांति समस्या पैदा करने वाले नहीं, बल्कि राम, कृष्ण, महावीर और बुद्ध की भांति समाधान देने वाले बनना है । इस ब्रह्मांड में हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, हम पांव से चलते हैं, हमारा एक पांव शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है तो दूसरा पांव शन...

श्रध्देला महत्व द्यायला शिका-प.पू.रमणीकमुनीजी म.सा.

जालना : प्रवचन तर चांगले होते. परंतू आपली चप्पल जेव्हा चोरीला जाते. तेव्हा दोष हा त्या प्रवचनाला दिला जातो. प्रवचन करणार्‍याला दिला जातो. परंतू असाही विचार येऊ शकतो की, अशा हजार चप्पला मी प्रवचनासाठी कुर्बान करु शकातो. सांगण्याचं तात्पर्य हे की, आपण सर्वांनी श्रध्देला महत्व दिले पाहिजे, असा हितोपदेश वाणीचे जादुगार श्रमण प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. यांनी येथे बोलतांना दिला. ते गुरु गणेश सभा मंडपात चार्तुमासानिमित्त आयोजित प्रवचनात श्रमणसंघीय सलाहकार, वाणीचे जादुगार प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. बोलत होते. यावेळी विचार पिठावर अन्य साध्वींची उपस्थिती होती. पुढे बोलतांना श्रमणसंघीय सलाहकार, वाणीचे जादुगार, प.पू.रमणीकमुनीजी म. सा. म्हणाले की, श्रध्दा म्हणायचं कशाला? आपण जो करता तो दिखावा आहे. म्हणून श्रध्देला महत्व दिले पाहिजे. समजा आपण प्रवचनाला गेलो परंतू आपली चप्पल चोरीला गेली. त्यावेळी मात्र आपण प्रव...

“आत्मिक संपत्तीची खरी ओळख : गुरूचरणांची महिमा”

प्रवचन – 17.07.2025 – प पू श्री मुकेश मुनीजी म सा – (बिबवेवाडी जैन स्थानक) आज बहुतेक माणसं दिवस-रात्र मेहनत करत आहेत — स्वतःसाठी, कुटुंबासाठी, भविष्यासाठी. पण या अखंड परिश्रमातही त्यांच्या चेहऱ्यावर समाधान, शांतता किंवा यशाचे प्रतिबिंब दिसत नाही. कारण त्यांचा सारा प्रयत्न हा भौतिक संपत्ती मिळवण्यामागे केंद्रित असतो. पैसा, प्रतिष्ठा, मालमत्ता या गोष्टी नक्कीच आवश्यक आहेत, पण केवळ ह्याच गोष्टींनी आयुष्यात खरं सुख मिळतं का? खरं तर आत्मिक संपत्ती हेच आपल्या जीवनाचं अंतिम साध्य असावं. सत्य, ब्रह्मचर्य, धर्म, तप, जप, ज्ञान — हीच ती अमूल्य संपत्ती आहे जी ना चोरीला जाते, ना कोण कधी हिसकावू शकतं. ही संपत्ती मिळाली, की मनात शांती येते, जीवनात स्थैर्य निर्माण होतं, आणि आत्मा आनंदित होतो. आपण सोनं विकत घेऊ शकतो, पण सुख विकत घेता येत नाही. आणि म्हणूनच आत्मिक संपत्ती मिळवण्यासाठी आवश्यक आहे ...

राम, लक्ष्मण, हनुमान आणि सीता बनण्याचा प्रयत्न करा-प.पू.रमणीकमुनीजी म.सा.

जालना : जीवन हे वारंवार मिळण्याची गोष्ट नाही. त्यामुळेच राम, लक्ष्मण, हनुमान आणि सीता बनण्याचा प्रयत्न करा, असा हितोपदेश वाणीचे जादुगार श्रमण प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. यांनी येथे बोलतांना दिला. ते गुरु गणेश सभा मंडपात चार्तुमासानिमित्त आयोजित प्रवचनात श्रमणसंघीय सलाहकार, वाणीचे जादुगार प.पू. रमणीकमुनीजी म.सा. बोलत होते. यावेळी विचार पिठावर अन्य साध्वींची उपस्थिती होती. पुढे बोलतांना श्रमणसंघीय सलाहकार, वाणीचे जादुगार, प.पू.रमणीकमुनीजी म. सा. म्हणाले की, जो हमने किस को दिये है, वो गम हमे तो लेने पडगे ॥ या गिताने त्यांनी आपल्या धारावाहिकची सुरुवात केली. ते म्हणाले की, मध्यप्रदेशातील उजैन्ननगरीत एक राजा राहत होता. तो प्रजेचे काळजी घेणारा होता. त्याच्या हाताखाली एक नोकर होता. रामू! रामूचं लग्न पाच महिन्यावर आलं होतं. रामू त्या राजाला म्हणाला. जैसे हमारे पिताजी नही, वैसेही हमारी जो गुलाबो है ना उ...

किलपाॅक में तेयुप की नई इकाई का हुआ गठन

राकेश डोसी बने अध्यक्ष, सुनील संकलेचा मंत्री  मुनि मोहजीतकुमार ने नवीन टीम को ‘नव उत्साह, उमंग, संकल्प’ के साथ कार्य करने की दी प्रेरणा Sagevaani.com /किलपॉक: मुनि मोहजीतकुमार के सान्निध्य में भिक्षु निलयम में अभातेयुप के निर्देशानुसार किलपाॅक में 365वीं तेरापंथ युवक परिषद की नवीन इकाई का गठन हुआ।  नमस्कार महामंत्र समुच्चारण के पश्चात तेयुप सदस्यों ने विजय गीत का संगान किया। अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन करते हुए अभातेयुप संविधान के अन्तर्गत महानगरीय परिसीमन अनुसार किलपाॅक तेयुप के गठन का पत्र प्रदान करते हुए नवीन शाखा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में राकेश डोसी को शपथ दिलाई।  अध्यक्षीय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए युवाओं द्वारा उन पर जताये विश्वास पर खरा उतरते हुए संघ और संघपती के प्रति समर्पित रह कर कार्य करने का आश्वासन दिया। अपनी टीम में अध्यक्ष...

संत चमत्कार दिखाते नहीं, चमत्कार स्वत: घटित हो जाते हैं: डाॅ. वरुण मुनि

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बेंगलुरू में चातुर्मासार्थ विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार प. पू. डॉ श्री वरुणमुनिजी म. सा. ने अपने मंगलमय प्रवचन में फरमाया की संत किसी जाति या धर्म का नहीं होता, वह तो सबका होता है । जिस प्रकार सूर्य हो या चंद्रमा, हवा हो या पानी, धरती हो या आकाश, वह सभी के होते हैं, किसी व्यक्ति विशेष के नहीं। इसी प्रकार यह सारा विश्व ही गुरु का परिवार है लेकिन इंसान ने गुरु को भी बांट दिया और धर्म को भी बांट दिया । संत तो पूजनीय होते हैं, उनका सत्कार होना चाहिए, उनके साथ देव जैसा व्यवहार होना चाहिए । संतों की अंतर आत्मा से जो आवाज निकलती है, वह कभी निष्फल नहीं होती । संत चमत्कार दिखाते नहीं, सहज में हो जाए, यह अलग बात है । इस दुनिया की दो रचनाएं बड़ी ही अद्भुत है – पहले श्रीमद् भागवत गीता की रचना, जो युद्ध के मैदान में हुई और दूसरी भक्तामर स्तोत्र की रचना, जो...

“अपरिग्रह – संयमित जीवनाची गुरुकिल्ली”

प्रवचन – 16.07.2025 – प पू श्री मुकेश मुनीजी म सा – (बिबवेवाडी जैन स्थानक) मानवी जीवनामध्ये परिग्रहाचा अतिरेक हा दुःखाचे मुख्य कारण आहे. जसे जसे लाभ वाढतो, तसतसे लोभही वाढत जातो. संपत्ती मिळवणं आवश्यक आहे, पण तिचा संग्रह न करता, जर ती दानधर्मात वापरली गेली, तर त्यातून अपार पुण्याची कमाई होते. एक उदाहरण घ्या – एखाद्या वाहनाला ब्रेक नसेल, तर ते असंतुलित होऊन अपघात होतो. तसेच, जर आपल्या जीवनात मर्यादा नसेल, तर जीवनही दिशाहीन आणि अस्तव्यस्त होऊन जातं. जीवनाचा खरा हेतू हरवून बसतो. मर्यादा नसल्यास, आपण वापरत नसलेल्या गोष्टींचाही दोष आपल्यावर येतो. पण जिथे जीवनात मर्यादा असते, तिथे विषय वासनांचे अंधकार आपल्यात प्रवेश करत नाहीत. “ज्या वस्तूला आपण जितकं सोडतो, ती तितकीच आपल्या जवळ येते.” ही जीवनातील एक सुंदर सत्यता आहे. म्हणून, मनुष्याने संपत्ती मिळवण्याबरोबरच तिचं दान कसं क...

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