ज्ञान वाणी

पश्चाताप के आंसू पाप धोने के लिए जल समान है

*💎प्रवचन वैभव💎*   *✨सद् उपदेशक:✨* *शासन समर्पित सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣2️⃣8️⃣ ⚡ *_636)_* धर्मी जन सुविधा के लिए नही, *सद्गुणों के लिए* *चिंतित रहता है.!* *_637)_* पश्चाताप के आंसू पाप धोने के लिए *जल समान है.!* *_638)_* डूबना नही है तो दूसरों की गलतियों से सीखो की *हमसे वह गलतियां न हो,* जिसके कारण वह डूबे है.! *_639)_* *ज्ञानियों का उपदेश* हमारा जीवन सुरक्षित करने का अनमोल उपाय है.! *_640)_* मन का स्वभाव है जो नही मिला उसकी चिंता, *मिला है उसके प्रति लापरवाही.!*    

प्रत्येक ज्ञानी प्रारूपणा के  काबिल नहीं होतें

*💎प्रवचन वैभव💎*   *✨सद् उपदेशक:✨* *शासननिष्ठ सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣2️⃣6️⃣ ♦️ *_626)_* समस्त शास्त्रों का मूल आधार है अहिंसा.! *_627)_* हीन-उत्तम में मिट्टी-सुवर्ण में निर्धन-धनवान में समान दृष्टि को प्रवज्या कहते है.! *_628)_* प्रत्येक ज्ञानी प्रारूपणा के काबिल नहीं होतें.! *_629)_* सुक्ष्म से सूक्ष्म पर पीड़ा भी न हो उसकी जागृति रखनी.. किसी का भला करने में पूर्णशक्ति अनुसार कार्य करना.! *_630)_* नम्र व्यक्ति को सहजसिद्धि प्राप्त होती हैं.!

अखिल भारतीय युवक परिषद् के कार्याध्यक्ष श्री गजेन्द्रजी चोपड़ा जोधपुर का चेन्नई आगमन पर अभिनन्दन

श्री जैन रत्न युवक परिषद् तमिलनाडु ने अखिल भारतीय युवक परिषद् के कार्याध्यक्ष श्री गजेन्द्रजी चोपड़ा जोधपुर का चेन्नई आगमन पर अभिनन्दन-स्वागत किया | अखिल भारतीय श्री जैन रत्न युवक परिषद् के कार्याध्यक्ष श्री गजेन्द्र चोपड़ा का स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट चेन्नई में स्वागत अभिनन्दन किया गया | श्री जैन रत्न युवक परिषद् तमिलनाडु के अध्यक्ष श्री संदीपजी ओस्तवाल ने गजेन्द्रजी चोपड़ा की सेवाओं व योगदान बताकर परिचय दिया व स्वाध्याय भवन चेन्नई पधारने के प्रसंग पर स्वागत किया | श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने उनकी गुरु भक्ति संघ समर्पण निष्ठा व देव धर्म गुरु के प्रति रचित रचनाओं का उल्लेख करते हुए अभिनन्दन करते हुए युवक परिषद्,चेन्नई तमिलनाडु के सभी नवीन राष्ट्रीय पदाधिकारियों को बधाई देते हुए प्रति शुभ कामनाएं व्यक्त की | युवक परिषद् के राष्ट्रीय कार्...

कोमल भाषा का प्रयोग करना भाषाविनय है

*💎प्रवचन वैभव💎*   *✨सद् उपदेशक:✨* *शासन समर्पित सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣2️⃣4️⃣ 🪷 *_616)_* हितकारी अति आवश्यक कोमल भाषा का प्रयोग करना भाषाविनय है.! *_617)_* जनप्रियता के मूल है सदाचार एवं मधुरभाषा.! *_618)_* देह में मस्तक का, वृक्ष में मूल का जो स्थान है, वही स्थान साधना में ध्यान का.! *_619)_* जिस समय परमानंदी आत्मा की अनुभूति होती है उसी क्षण अज्ञानरूपी भ्रम नष्ट हो जाता हैं.! *_620)_* सुक्ष्म से सूक्ष्म पर पीड़ा भी न हो उसकी जागृति रखनी.. किसी का भला करने में पूर्णशक्ति अनुसार कार्य करना.!  

अनेकांत त्रिलोक गुरु है

*💎प्रवचन वैभव💎* *✨सद् उपदेशक:✨* *शासन समर्पित सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣2️⃣3️⃣ 🎇 *_611)_* अनेकांत त्रिलोक गुरु है.! *_612)_* परिणत ज्ञानी के लिए बिना अध्यात्म का शास्त्र ही संसार रूप हैं..! *_613)_* संसार स्वरूप का बोध कराए वह धर्मकथा.! *_614)_* आत्मा की चेतना शक्ति त्रैकालिक शाश्वत है.. आत्मा नित्य अविनाशी हैं.! *_615)_* आत्म ज्ञान के अभाव में संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान भी मोक्ष प्राप्ति नही करवा सकता.! https://chat.whatsapp.com/H52Lf1p3X229eGDFSJplQ0

स्थानक बनना यानी संघ की शक्ति बढ़ना है- युवाचार्य महेंद्र ऋषि

तिरुमलिसै महावीर जैन स्थानक का हुआ लोर्कापण श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज के सान्निध्य में बुधवार प्रातः हुए एक समारोह में तिरुमलिसै स्थित महावीर जैन स्थानक का लोकार्पण हुआ। समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस अवसर पर उपप्रवर्तिनी कंचनकंवरजी एवं महासती राजमतिजी आदि ठाणा की निश्रा मिली। पलक मुथा ने वेलकम स्पीच में कहा कि संघ की मेहनत रंग लाई और आज हमारा सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा यह स्थानक जीवन निर्माण का स्त्रोत है। तिरुमलिसै संघ की सदस्याओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।‌ अरुणा सुराणा ने कहा कि आज गुरुदेव ने हमारी झोली को पुण्याई से भरकर संघ की शान को बढ़ा दिया। महिला मंडल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। बच्चों ने भी गीत व भावनात्मक नाटिका प्रस्तुत की। नवनिर्मित स्थानक के सहयोगियों, व अतिथियों का सम्मान किया गया। युवाचार्य भगवंत ने इस मौके पर कहा कि नवनिर्मित स्थ...

कषायों से कभी  मोक्षमार्ग में प्रगति नहीं होती

*💎प्रवचन वैभव💎*   *✨सद् उपदेशक:✨* *शासननिष्ठ सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣2️⃣0️⃣ 🌻 *_596)_* कषायों से कभी मोक्षमार्ग में प्रगति नहीं होती.! *_597)_* भावना चिंतन शून्य व्यक्ति सिद्धि प्राप्त नही कर सकता.! *_598)_* जो सत् को जानता हैं, संपूर्ण जगत को जानता हैं.! *_599)_* *जहां दया नही,वहां धर्म नही.!* *_600)_* वैयावच्च करने का अवसर भाग्योदय से मिलता हैं.!   *🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*  

जीवन में कोई भी कष्ट, उपसर्ग आए, हमें विचलित नहीं होना है- युवाचार्य महेंद्र ऋषि

पोरुर संघ में धर्मसभा का आयोजन श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज का पदार्पण सोमवार को पोरुर स्थानकवासी जैन संघ में हुआ। उन्होंने धर्मसभा में अपने संबोधन में कहा कि अगर हमारी श्रद्धा और पराक्रम सफल हो जाए तो हम मेरिट लिस्ट में आ जाते हैं। पूर्व जन्म में अनंत पुण्य की राशि एकत्रित की जिसके कारण हमें मानव भव और जैन कुल की प्राप्ति हुई। उन्होंने कहा रत्नों की प्योरिटी जितनी ज्यादा होती है, उतना ही ज्यादा उनका मूल्य होता है। यदि पत्थर की प्योरिटी से ही उसका मूल्य निर्धारित होता है, तब सोचिए, कितनी पुण्य राशि एकत्रित हुई होगी, तब यह मानव जन्म, जैन कुल, जिनवाणी हमें मिली। इस काया रुपी नाव का उपयोग हमें जल्दी कर लेना है, यह पुण्य से मिला पुरुषार्थ अब करना है। हमारी श्रद्धा देव- गुरु- धर्म के प्रति होनी चाहिए। नियाणा यानी मन्नत से मिला हुआ हमसे छूटता नहीं है। इसीलिए वासुदेव दीक्षा ग्रहण नह...

आना भी मुबारक था, जाना भी मुबारक है

आना भी मुबारक था, जाना भी मुबारक है! था जिंदगी का यही मकसद हर चीज मुबारक था! महासाध्वी डॉ. राज श्री जी म.सा. आकुर्डी – निगडी- प्राधिकरण श्री संघ का स्वर्णिम एवं ऐतिहासिक चातुर्मास समाप्त कर डॉ. राज श्री जी , डॉ. मेघाश्री जी साध्वी समिक्षा श्री जी, साध्वी जिनाज्ञा श्री जी की विहार यात्रा प्रारंभ हुई! संत मधुकर होते है! जहॉं मधुकर को मधुर सुरभि और रस मिलता है वहाँ पहुँच जाते है! संघ रुपी पुष्प है इसमें भक्ति और श्रध्दा का रस लेने संत भ्रमर आते है! रस लेकर उड़ भी जाते है! जैसे हवा पुष्पके गंध को दुर दुर तक फैलाती है! वैसे संत हवा भी संघ पुष्प को सदगुण, समभाव, स्नेह,आत्मीय दुलार को दुर दुर फैलायेंगे! हम साध्वीयोंका किसीके साँथ मतभेद रहा होगा किंतु मनभेद नही! फिर भी हिसाब किताब को साफ़ कर देते है – “ क्षमायाचना” से! हंस पानी में दुध मिला हो तो पानी को छोड़ देता है और दुध को पी लेता ...

कलह कपट  वैर का कारण है स्वार्थ

*💎प्रवचन वैभव💎*   *✨सद् उपदेशक:✨* *शासननिष्ठ सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣1️⃣9️⃣ ✨ *_591)_* जहां पुरुषार्थ,वहां विजय.! *_592)_* मन से अनैतिक विचार करोगे तो मन का साथ छूट जायेगा.! *_593)_* कलह कपट वैर का कारण है स्वार्थ.! *_594)_* आत्म ज्ञान ही परम तीर्थ है उस तीर्थ के जल से जो शुद्धि होगी वो जगत के किसी तीर्थ के जल से नही होगी.! *_595)_* प्रव्रजित व्यक्ति विषम दृष्टि का त्यागी होता है!.   *🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*  

उत्तम  व्यक्ति के गुण आचरण में झलकते है

*💎प्रवचन वैभव💎*   *✨सद् उपदेशक:✨* *शासननिष्ठ सद्गुरु* *सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त* श्रुत साधक क्षमाश्रमण मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा. ✒️ 1️⃣1️⃣8️⃣ 🪜 *_586)_* उत्तम व्यक्ति के गुण आचरण में झलकते है.! *_587)_* जन्म की भेंट मृत्यु जवानी की भेंट बुढ़ापा.! *_588)_* कीचड़ में रहे सोने की तरह पदार्थो के बीच रहा साधक लिप्त नही होता.! *_589)_* क्रोधी व्यक्ति मनुष्य होकर ही नारक जैसा व्यवहार करता हैं.! *_590)_* मधुर भाषा, क्षमा एवं गुणग्राहिता ये त्रिगुण धर्म के लक्षण है.!   *🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*

साधु का आहार जितना शुद्ध होगा, उनका संयम उतना ही उत्कृष्ट होगा – युवाचार्य महेंद्र ऋषि

डीजी वैष्णव काॅलेज में धर्मसभा का आयोजन श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज का पदार्पण मध्यवर्ती अरंबाक्कम स्थानकवासी जैन संघ में रविवार प्रातः हुआ। वे एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर से विहार कर अरंबाक्कम स्थित डीजी वैष्णव काॅलेज के प्रांगण में पहुंचे। वहां धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने साधु के आहार- विहार चर्या के रहस्यों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा हमारे आगमों में आता है जब हमारे परमात्मा के गणधर या आचार्य साधुचर्या करके आगे बढ़े। साधु-चर्या के दो मूलभूत आधार है आहार और विहार। ये साधुचर्या के अभिन्न अंग है। साधु समाचारी के अनुसार इन चर्या का निर्वहन महत्वपूर्ण है। हम जब आहार ग्रहण करने के लिए आते हैं, वह आपके लिए सुपात्रदान होता है। यह आहारचर्या उदर पूर्ति के लिए नहीं है बल्कि श्रद्धा को बढ़ाने, आशीर्वाद मिलने का माध्यम है। यदि साधु को आहार नहीं मिलता तो वे आटे में पानी मिलाकर ...

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