एएमकेएम में आठ वार की प्रवचन माला की हुई शुरूआत
एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने सोमवार को आठ वार की प्रवचन माला में सोमवार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें शीतलता पसंद है क्योंकि वह सुकून देती है। हमारी ललाट को चन्द्र की उपमा दी गई है। मुख को चन्द्र के आकार जैसा बताया गया है। आज का वार सोमवार, सोम यानी चन्द्र, शशि। चन्द्र शीतलता प्रदान करने वाला है।
उन्होंने कहा जब तक शरीर स्वस्थ है, आत्मा के हित में जो कार्य करना है, कर लो। चांद की शीतलता के संदर्भ में यह कहा जाता है कि आज ठंडा रहो। जब दिन, वार या कार्य की शुरुआत हो तो वह ठंडे दिमाग से शुरू करो। ठंडा व गर्म जब एक दूसरे के साथ टकराता है तो गर्म लोहा टूट जाता है। सोम, चंद्र मन का स्वामी है, मन का कारक है। जिसका चंद्र मजबूत हो, उसका मनोबल मजबूत होता है। जिसका चंद्र कमजोर हो, उसमें दृढ़ता नहीं रहती। चंद्र मन का नियंत्रण रखता है।
उन्होंने कहा जैन धर्म में पांच तिथियों की महत्ता बताई गई है। मन का आवेग, अप्रशस्त भाव मन के उतार-चढ़ाव के कारण होता है। जो साधनाएं ज्ञानियों ने बताई है, वे प्रशस्त हैं। अप्रशस्त साधना को नहीं करनी चाहिए। सोमवार हमारे जीवन को नियंत्रित करने वाला है। आवेग, मन की तरंगों को रोककर प्रशस्त बन सकते हैं। इस मन को नियंत्रित करना है तो संकल्प आवश्यक है। आराधना का मार्ग थोड़ा मुश्किल जरूर होता है लेकिन आराधना का संकल्प दिया गया है। छोटे-छोटे संकल्प से शुरू करो।
उन्होंने कहा संकल्प संकल्प होता है, छोटा या बड़ा नहीं। आज के मोटिवेशनल युग में एक गोल निर्धारित करने का कहा जाता है। फिर उसे पाने के लिए छोटे-छोटे गोल निर्धारित करने के लिए कहा जाता है। इसी तरह जीवन में छोटे-छोटे संकल्प शुरू करो। संकल्प लिया तो वह टूटना नहीं चाहिए। उस संकल्प को निभाना है। संकल्प से हमारा चंद्र बल मजबूत रहेगा। अगर यह मजबूत रहेगा तो आत्मविश्वास से हम कार्य कर सकते हैं।
इसी तरह मन में सुकून शीतलता से आता है। हम भी शीतल रहें और आसपास भी शीतलता रहे। वह सौम्यता आपके और हमारे जीवन में रहे। इस दौरान पूना, सिकंदराबाद, हैदराबाद, वणी, कवर्धा आदि क्षेत्रों से गुरुभक्तगण युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ व वंदनार्थ उपस्थित हुए। आगामी 6 नवंबर को ज्ञान पंचमी पर विशेष जाप सुबह 8.30 से रखा गया है और 7 नवंबर को गुरु गणेश जन्म जयंती एकाशन एवं दया दिवस के रूप में मनायी जायेगी। राकेश विनायकिया ने सभा का संचालन किया।