चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वीवृंद कंचनकंवर, डॉ. सुप्रभा व डॉ. हेमप्रभा के सानिध्य में साध्वी उमरावकंवर ‘अर्चना का 18वें जन्मोत्सव के तहत गुरुवार को जप दिवस पर नवकार महामंत्र के नवपदों का सामूहिक जाप यंत्र, मंत्र और महामंत्र के रंगों सहित हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने महामंत्र जाप किया।
साध्वी डॉ.उदितप्रभा ने कहा नदियों में गंगा, पर्वतों में हिमालय के समान सभी मंत्रों में नवकार को महामंत्र माना है। भगवान महावीर के निर्वाण के बाद जैन धर्म की अनेक परंपराएं बंट गई लेकिन नवकार महामंत्र ही है जो सभी को एक डोरी में बांधे रखा है।
यदि मन में श्रद्धा है तो विपत्ति में नवकार महामंत्र रक्षक है। हमें इसका प्रयोजन और इसकी आधारशीला समझने की आवश्यकता है। मन में श्रद्धा होने से विचारों में सकारात्मकता आती है, हमारी भावना बदलती है, हमारा आभामण्डल निर्मल होता जाता है।
नवकार महामंत्र की शक्ति को आधुनिक वैज्ञानिक भी सिद्ध कर चुके हैं। मन के आभामण्डल को हमें शुद्ध, पवित्र, निर्मल करना है तो विचारों को निर्मल बनाएं।
मन में अहिंसा के भाव हो, प्राणीमात्र के प्रति दया की भावना हो। नवकार महामंत्र से समस्त पापों का नाश होता है। आत्मा पर जमे कर्मों का मैल महामंत्र के जाप और महापुरुषों के श्रद्धा-स्मरण से हटेगा और हम स्व में स्थित परमात्मा के दर्शन कर सकेंगे।
महामंत्र पर श्रद्धा का विकास हमारे कितने ही मोहनीय कर्म के क्षय से होता है, आपको बहुत पुण्य से यह अवसर मिला है। गुरु उमरावकंवर का जीवन नवकार महामंत्र की साधना और तप को समर्पित था, कैसा भी संकट आया हो लेकिन उनकी निरंतरता बनी रही।
साध्वी उन्नतिप्रभा ने गुरु को भजन गाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। शुक्रवार को गुरु उमरावकंवर ‘अर्चनाÓ के जन्मोत्सव पर सवेरे गुणानुवाद सभा और अतिथि सम्मान समारोह होगा, जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, यूपी सहित चेन्नई के अनेकों स्थानों से श्रद्धालु शामिल होंगे।