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आगम और उसकी सुरक्षा के लिए महापुरुषों के त्याग तपस्या एवं बलिदान दिया: सुधा कंवर जी म सा

आगम और उसकी सुरक्षा के लिए महापुरुषों के त्याग तपस्या एवं बलिदान दिया: सुधा कंवर जी म सा

कोडमबाक्कम वड़पलनी श्री जैन संघ प्रांगण में आज सोमवार ता 31 अक्तूबर 1922 को प.पू. सुधा कंवर जी म सा ने आगम और उसकी सुरक्षा के लिए महापुरुषों के त्याग तपस्या एवं बलिदान के बारे में फरमाया! भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के बाद सुधर्मा स्वामी जी जंबू स्वामी जी एवं सम्भूति आचार्य आगमों को सुरक्षित रखने के बारे में सोचते हैं! 1500 शिष्यों को आगम सहित आचार्य भद्र बाहू के पास भेज देते हैं!

ज्ञान वाचना, प्रार्थना के लिए मन वचन काया की स्थिरता, वीरता और गंभीरता का होना बहुत जरूरी है! 14 पूर्वों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए 1500 शिष्यों के साथ स्थूलीभद्र मुनि भी थे! भद्रबाहु आचार्य से अभ्यास करते करते उन्हें 14 में से 10 पूर्वों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है! एक दिन स्थूलीभद्र मुनि की सात बहने उनके दर्शनार्थ आती है तब वे उस साध्वी मंडल के सामने शेर का आवरण बना कर बैठ जाते हैं और साध्वी मंडल वापस चली जाती है! आचार्य भद्रबाहु समझ जाते हैं कि स्थूलीभद्र को अहंकार आ गया है और वह इस ज्ञान को पचा नहीं पा रहे हैं इसलिए बाकी के चार पूर्व सीखने के लायक या योग्य नहीं रहे और वे बाकी 4 पूर्व ज्ञान को सीखाने से इनकार कर देते हैं!

सुयशा श्रीजी मसा ने फ़रमाया कि मनुष्य का जीवन बड़ा अस्थाई है! सुखी भविष्य के लिए रोटी कपड़ा मकान इंश्योरेंस एफडी बैंक बैलेंस की व्यवस्था करनी पड़ती है! इनके साथ हमारी मन की शांति के लिए धीरज, परिपक्वता, धैर्य और संयम की जरूरत पड़ती है! घर में या बाहर कोई भी हमारी उपेक्षा कर दे तो हम परेशान हो जाते हैं और दूसरों को भी परेशान कर देते हैं! हम दूसरों से अच्छा व्यवहार चाहते हैं तो हमें चाहिए कि हम वैसा ही मर्यादित व्यवहार दूसरों के साथ करें! घर में हम अपने बड़ों के साथ जैसा संस्कारित व्यवहार करते हैं वैसा ही संस्कारित व्यवहार हमारे बच्चे हमारे साथ करेंगे!

सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम, उनके सुख सुविधा और स्वास्थ्य का ध्यान देंगे तो वैसा ही हमारे बच्चे हमारे साथ हमारा ध्यान देंगे! हमारे जीवन में प्रवृत्ति काल (जवानी) में हम सक्षम रहते हैं, self dependent रहते हैं! निवृत्ति काल (गृहस्थ) में हमें परिवार में सहयोग देने और लेने की जरूरत पडती है! अशक्ति काल (बुढापे) में हमें सहायता की जरूरत पड़ती है! इसलिए हर अवस्था में हमें हमेशा दूसरों का सहयोग करना चाहिए, दूसरों की सहायता करनी चाहिए! धर्म सभा में मैसूर से करीब 70 सदस्य गुरु दर्शन एवम प्रवचन का लाभ लिया और उनका संघ के सदस्य एवम पधाधिकारीयो के द्वारा स्वागत किया गया रविवार 6 नवंबर को लोकाशाह जयंती और चातुर्मास समापन समारोह मनाया जाएगा – ये जानकारी संघ के मंत्री देवीचंद बरलोटा ने दी।

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