Share This Post

Featured News / Khabar

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया आचार्य जयमल का 312 वां जन्मोत्सव

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया आचार्य जयमल का 312 वां जन्मोत्सव

नौ दंपातियों ने लिए शीलव्रत के प्रत्याख्यान

श्री जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में आयोजित 312 वें जय जन्मोत्सव के उपलक्ष में जयधुंरधर मुनि ने विशाल जनमेदनी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की पावन पवित्र वसुंधरा ने अनादि काल से समय-समय पर अनेक महापुरुषों को अवतरित करने का गौरव प्राप्त किया है ।
जब – जब भी इस तपोभूमि पर अत्याचार अन्याय और अनीति का बोलबाला बढने से जनजीवन विनाश के कगार पर पहुंचने लगता है, तब – तब कोई ना कोई महापुरुष इस धरती पर जन्म लेकर उन अत्याचारों का शमन करता है। विक्रम की 18वीं शताब्दी के अंत में भारतीय जन जीवन में उत्तल पुथल मच रही थी, शासक वर्ग सूर के ताल में लयलीन, सूरा के नशे में आकण्ठ डूबा हुआ और सुंदरी में तल्लीन बना हुआ था। यति वर्ग भी अपने कर्तव्य पथ से चुय्त होकर आकांक्षा पूर्ति हेतु बाह्य आडंबर और जन रंजन को अपनाकर  ,जनता को धर्म के नाम पर गुमराह करने लगा था। 
ऐसी विषमता की आग में आचार्य जयमल ने जिन शासन की रक्षा के लिए राजस्थान के लांबिया ग्राम में कामदार मोहनदास मेहता की सहधर्मिणी महिमा देवी की रत्न कुक्षी से विक्रम संवत 1765 भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी को जन्म लिया। जन्म के समय पिता मोहन दास जी की खूंखार डाकू दल पर उल्लेखनीय विजय प्राप्ति के फल स्वरुप बालक का नाम जयमल रखा गया।
युगप्रधान एकाभवावतारी चरित्र चूड़ामणि तथा चर्चा चक्रवर्ती आचार्य जयमल का उज्जवल जीवन अपने समय के और वर्तमान एवं भविष्य के सभी वर्गों के मनुष्यों के लिए सदैव ग्रहणीय एवं अनुकरणीय था , है और रहेगा l उनके आचार – विचार, सिद्धांत, कार्य – क्षमता, बहुआयामी व्यक्तित्व और उच्च कोटि का साधनामय जीवन अनुपम, अद्वितीय अविस्मरणीय रहा । वे आशु कवि, धर्म प्रभावक एवं समर्थ समाज सुधारक भी थे।
मुनि ने बताया कि मनुष्य का जन्म दो प्रकार से होता है एक सप्रयोजन और दूसरा निषप्रयोजन। जिन्होंने अपने जीवन का प्रयोजन नहीं समझा वह तो केवल जन्म लेते हैं और मरकर आगे चले जाते हैं। लेकिन विरले ही ऐसे महापुरुष होते हैं जो जन्म लेने के बाद अपने जीवन का प्रयोजन सिद्ध करते ही हैं, साथ ही जन – जन का भी प्रयोजन सिद्ध कर देते हैं ।
ऐसे महापुरुष किसी एक संप्रदाय विशेष तक सीमित ना होकर संपूर्ण समाज के लिए पूजनीय बन जाते हैं। इस अवसर पर जयकलश मुनि ने जयमल जी महाराज साहब के जीवन पर एक गीतिका प्रस्तुत की । जयपुरंदर मुनि ने कहा आचार्य जयमल एक ऐसे युगपुरुष थे जो धारा को मोड़ने में समर्थ थे, वे अद्वितीय संकल्प शक्ति के धनी थे ।
उनमें अनेक महापुरुषों की झलक दिखाई देती थी । महावीर के समान परिषह विजेता थे।  गौतम के समान विनय गुण से युक्त थे।  सुधर्मा के समान संघ के नायक थे और उनका वैराग्य जंबू स्वामी के समान था। जयमल नाम स्मरण से ही कर्म रूपी मेल पर विजय प्राप्त की जा सकती है। उनका जीवन एक आश्चर्य के रूप में हजारों वर्ष के इतिहास में विशिष्टता लिए हुए था । इसके पूर्व समणी श्रुतनिधि ने महापुरुषों की जन्म जयंती कैसे मनाना इसके ऊपर विवेचन करते हुए लोगों को प्रेरणा दी। 
जन्मोत्सव के पावन प्रसंग पर दान,शील,तप,भावना का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत हुआ। उत्तमचन्द बोकडिया, सुरेश बोकडिया, बलवीरसिंह लोढ़ा, प्रकाशचंद बैद , मूलचंद बोहरा, अशोक खटोड, जयंतीलाल सुराणा , अशोक बोहरा, ज्ञानचंद कोठारी ने सजोड़े आजीवन शील व्रत के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।
सज्जनबाई झामड ने 63 उपवास, चंचलबाई बाफना ने 51 उपवास, शकुंतला बाई मेहता ने 28 उपवास, चंद्राकला कांकरिया ने 21 उपवास, गंगाबाई कर्नावट ने 16 उपवास, सुमन कंवर मेहता ने 15 उपवास, किरण देवी कोठारी ने 14 उपवास सहित 400 सामूहिक तेले के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। सभी तपस्वी का एवं शील व्रत ग्रहण करने वालों का संघ द्वारा सम्मान किया गया।
इस अवसर पर आचार्य जयमल के जीवन चरित्र पर आधारित बीकानेर प्रसंग पर एक लघु नाटिका का मंचन भी किया गयाl मुनिवृंद के आगामी चातुर्मास हेतु  साहुकारपेट और तिरुनामलै क्षेत्र से विनंती प्रस्तुत की गई। संघ अध्यक्ष नरेंद्र मरलेचा ने सभी का स्वागत किया। अखिल भारतीय जयमल जैन श्रावक संघ के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष शिखरचंद बेताला ने अपने उद्गार व्यक्त किए।
मानव सेवा के अंतर्गत पदमचंद सुभाषचंद बेताला परिवार की ओर से 312 डायलिसिस कराने हेतु योगदान दिया गया । जेपीपी जैन महिला फाउंडेशन के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए यूनिफॉर्म हेतु 555555 रुपए का योगदान दिया । संघ ने गौतम प्रसादी के लाभार्थी प्रकाशचंद अशोकचंद महावीरचंद कातरेला परिवार का एवं प्रभावना लाभार्थी मोतीलाल विमलचंद सांखला परिवार का स्वागत किया।
धर्मसभा का संचालन महिपाल चौरडिया ने किया। जन्मोत्सव के अवसर पर चेन्नई के अनेक उपनगर सहित इरोड, बेंगलुरु , मैसूर , कलाकुर्ची आदि सुदूरवर्ती क्षेत्र से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar