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ज्ञान वाणी

सुखों का गुलाम न बनें: प्रवीणऋषि

सुखों का गुलाम न बनें: प्रवीणऋषि
पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने बताया आचार्य मानतुंग परमात्मा प्रभु के ज्ञान और जिनशासन के सूर्य की महिमा और प्रभाव बताते हुए इस सूर्य का साक्षात्कार करने को कहते हैं कि परमात्मा के ज्ञान का सूर्य इतना शक्तिशाली है कि यह कभी अस्त नहीं होता।

यह तीर्थंकर नामकर्म का सूर्य है जो अनन्त है व यह कभी अस्त नहीं होता। इस ज्ञान के प्रकाश में उदासीनता, हताशा, पछतावे का कोई स्थान है ही नहीं। परमात्मा की शरण में न अतीत का बोझ है और न ही भविष्य की चिंता। परमात्मा नारकी और स्वर्ग के सभी जीवों को एक साथ संभालते हैं। भौतिक सूर्य की भांति बादल, कोहरा या अन्य कोई भी बाधा इसके प्रकाश को कभी भी प्रभावित नहीं करती।

जो चेतना प्रभु के साथ जुड़ती है उसे कभी अंधेरा का आभास नहीं होता। जिसके साथ जुड़ोगे, उसका प्रभाव और गुण आपमें आ जाते हैं। चन्द्रमा तो स्थिर और सौम्य है लेकिन तीर्थंकर परमात्मा के गुणों और प्रभाव का चन्द्रमा तो विद्युत के समान प्रकाशमान और सदैव उदय रहने वाला है। इस दुनिया में हर वस्तु परिवर्तनशील है लेकिन मनुष्य जीवन में जो मोह, सम्मोहन और नकारात्मक मानसिकता हैं वह तो स्थिर है, जिन शासन से जुड़कर ही इसमें बदलाव लाया जा सकता है।

परमात्मा अन्तर के अंधकार को समूल मिटाकर उजियारा करते हैं। मोह में उलझे हुए व्यक्ति को सुख देने वाला प्रिय लगता है और मोह दूर होने पर ज्ञान देने वाला।

इस संसार में कोई भी किसी को सुख-सुविधा देकर खरीद लेता है, कभी भी सुखों के गुलाम न बनें।
इससे पहले प्रात: चातुर्मास स्थल पर युवाओं के लिए आयोजित दैनिक सत्र- जैनोलोजी प्रेक्टिकल लाइफ में उपाध्याय प्रवर ने ”इस संसार को कौन चलाता है विषय पर व्याख्यान दिया और युवाओं के प्रश्नों का समाधान किया।

‘पर्यूषण पर्व को यूनिवर्सल कैसे बनाएंÓ विषय पर रविवार, दोपहर 2 से 4 बजे तक व्याख्यान होगा।

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