चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम जैन मेमोरियल सेन्टर में साध्वी कंचनकंवर के सानिध्य में राजगुरुमाता उमरावकंवर ‘अर्चनाÓ के 18वें जन्मोत्सव के अंतर्गत 20 अगस्त को चतुर्थ दिवस सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने सामायिक और उनके जीवन प्रसंगों को स्मरण कर गुरुमाता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधाÓ ने कहा कि सामायिक की वेशभूषा हमें प्रेरणा देती है कि समता भाव रखें, क्रोध, अहंकार, माया और परिग्रह नहीं करें। सामायिक में मन नहीं लगे तो भी जरूर करें, क्योंकि धीरे-धीरे ही सही आप 14 गुणस्थान पार कर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त हो जाएंगे। सामायिक आत्मा के लिए भोजन के समान है, दिन के 24 घंटों में से कम से कम एक घंटे जरूर सामायिक करें।
साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषाÓ ने कहा बारह व्रतों के चार शिक्षा व्रत में सामायिक व्रत को प्रमुख माना है। जब तक समता की शिक्षा नहीं लेंगे बाकी तीन व्रतों की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी।
धर्मसभा में कमल छल्लाणी ने उमरावकंवर ‘अर्चनाÓ के जीवन के प्रसंग सुनाए। 21 अगस्त को महासती के जन्मोत्सव के अंतर्गत पांचवें दिन तप दिवस के रूप में सामूहिक एकासन, अर्चना जीवनझांकी पर प्रश्नमंच, अर्चना हाउजी गेम्स आदि कार्यक्रम होंगे।