Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

साधना से जीवन में आता है बदलाव: साध्वी सिद्धिसुधा

साधना से जीवन में आता है बदलाव: साध्वी सिद्धिसुधा

चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा जीवन कैसा भी हो लेकिन भावना अच्छी होनी चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसके व्यवहार और भावना से होती है। हालात कैसे भी हों भावना उसे बदलने की ताकत रखती है।

व्यक्ति अपनी अच्छी सोच से संसार के सुख दुख से निकल सकता है। अच्छी भावना से भक्तामर सूत्र का वाचन करने वालों का जीवन धीरे धीरे बदल जायेगा। साध्वी समिति ने कहा आज 48 दिन के भक्तामर सूत्र की साधना पूरी हुई है। साधना करने से जीवन में बहुत बदलाव आ जाता है।

यह साधना जीवन के दुखों को दूर कर देने वाली है। आत्म शुद्धि के लिए साधना बहुत ही जरूरी है। जब भी कोई भक्तामर की साधना करता है तो वह अपने मोक्ष मार्ग की ओर बढऩे लगता है। जो भक्त अमर होना चाहता है वह भक्तामर साधना करता है। सांसारिक दुखों से दूर होने वाले अमर हो जाते हैं।

उन्होंने कहा जैसे प्रवचन में वंदन नमस्कार से शुरुआत होती है वैसे ही भक्तामर में सूत्र बोलने की जरूरत होती है। भक्तामर के दौरान ऐसा लगना चाहिए जैसे भगवान की भक्ति में लीन हो रहे हैं। जो भक्त आदिनाथ की साधना करता है वह भय से भी दूर निकल जाता है। जब तक मनुष्य निर्भय नहीं होगा मोक्ष नहीं पा सकता।

जीवन में अगर भय है तो मोक्ष पाना आसान नहीं होगा। उसके लिए सबसे पहले जीवन के भय को दूर करने की जरूरत होती है। जब मनुष्य इस भक्तामर सूत्र की 48 गाथाओं को जीवन में उतारेगा उसके जीवन के कष्ट और भय दूर हो जाएंगे। भक्तामर सूत्र से बड़ी से बड़ी बीमारी भी दूर हो जाती है।

भक्तामर सूत्र में बहुत शक्ति होती है। लेकिन इसके लिए जीवन में अध्यात्म की जरूरत होती है। इसी बीच 48 दिनों के भक्तामर अनुष्ठान का सविधि मंत्रोचार से समापन हुआ।

संघ अध्यक्ष आनंदमल छलानी, सुरेश कोठारी, महावीर सिसोदिया ने मंगल कलश लेने वाले परिवारों एवम अन्य सहयोगियों का संघ द्वारा अभिनंदन किया गया। इस मौके पर मंगलचंद खारीवाल, गौतमचंद दुगड़, पंकज कोठारी व मदन खाबिया सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar