चेन्नई. जगत की समस्त शक्तियां उसके पैरों में व समस्त ऋद्धि-सिद्धियां उसके हाथों में आ जाती है, जो संयम का पालन करता है। साहुकारपेट के राजेन्द्र भवन में मुनि संयमरत्न विजय व भुवनरत्न विजय ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि शील, ब्रह्मचर्य, सदाचार के पालन से ही मनुष्य को देवलोक की संपदाएं व यश कीर्ति प्राप्त होती है।
जगत पर विजय प्राप्त करने वाला शील-संयम रूपी मंत्र को जो हृदय में धारण कर लेता है फिर उसे हाथी, सिंह, सर्प, समुद्र, रोग, चोर, बंधन, युद्ध व अग्नि का भय नहीं रहता। जो प्राणी शील रूपी आभूषण को स्व-अंगों पर धारण करता है, उसका यशगान देवांगनाएं अपने मुख से गाते नहीं थकती और उसकी चरणरज को देवता मुकुट की माला की तरह नहीं त्यागते तथा उसके नाम को योगी पुरुष सिद्ध के ध्यान की तरह हृदय में धारण करते हैं। सद्विचार से सदाचार स्थिर रहता है, कुविचार के परिणामस्वरूप मानव अनाचार की ओर बढ़ जाता है।
इस अवसर पर आचार्य यतीन्द्रसूरि द्वारा स्थापित, आचार्य जयन्तसेनसूरि द्वारा संपोषित अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश भाई धरु, महामंत्री अशोक श्रीश्रीमाल, मीडिया प्रभारी बृजेश बोहरा व दक्षिण प्रांत के महामंत्री सुजीत सोलंकी का सम्मान श्री संघ की ओर से किया गया। रविवार को मातृ-पितृ वंदना का कार्यक्रम श्री राजेन्द्र भवन में सुबह सवा नौ बजे से होगा।