चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में चल रहे चातुर्मास के दौरान शनिवार को साध्वी महाप्रज्ञा ने कहा कि व्यक्ति को भोग में योग में जीना चाहिए। योग करने से निरोगी बन जाओगे। उन्होंने गीतिका के माध्यम से कहा कि अगर आपकी दृष्टि अच्छी है तो सृष्टि भी अच्छी ही लगेगी।
जैसा बिम्ब होता है वैसा ही प्रतिबिम्ब भी दिखाई देता है। अगर आप नजरें बदल दोगे तो नजारे भी बदल जाएंगे। संसार में अगर हंस जैसी दृष्टि लेकर चलेंगे तो हमेशा मोती ही नजर आएंगे। उन्होंने कहा संसार में लोगों की प्रवृत्ति शकुनी या दुर्योधन जैसी नहीं होनी चाहिए बल्कि हमें राम, बुद्ध, महावीर बनने की कोशिश करनी चाहिए। साध्वी राजकीर्ति ने कहा कि अहंकार की कार से नीचे उतरकर विनम्रता के विमान में बैठकर मोक्ष की मंजिल मिल सकती है।