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विरक्ति के मार्ग को जो अपनाता है वही भगवान को पा सकता है: महासती धर्मप्रभा

विरक्ति के मार्ग को जो अपनाता है वही भगवान को पा सकता है: महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com /चैन्नई। विरक्ति के मार्ग को जो अपनाता है वही भगवान को पा सकता है।गुरूवार साहुकारपेट जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार में महासती धर्मप्रभा ने श्रावक श्राविकाओं को धर्म संदेश देतें हुए कहा कि काम और राम साथ में नही रह सकते है।

राग -द्वेष,काम-क्रोध,लोभ-मोह और विषयो और विकारो का जब तक मनुष्य त्याग और विरक्ति नहीं कर देता है तब तक वह परमात्मा से नहीं मिल पाएगा और नाहि संसार से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। सांसारिक भोगों से इंद्रियों की तृप्ति नहीं होती है इन विषयों और विकारों से सुख नहीं दुःख मिलता है और आत्मा परमात्मा से नहीं मिल पाती है त्यागने पर ही संसार से मुक्ति मिलेगी और परमात्मा से आत्मा का मिलन हो सकता है।

साध्वी स्नेहप्रभा ने श्री मद उत्तराध्ययन सूत्र का अर्थ सहित विवेचन करतें हुए कहा कि जीनवाणी एक ऐसा मार्ग है जो हमारी आत्मा को परमात्मा के नजदीक और स्पर्श करवा सकती है और संसार के दुखों से छुटकारा दिला सकती है। मनुष्य श्रध्दां और विश्वास के साथ जिनवाणी का श्रवण करता है तो वह आत्मा का साक्षात्कार कर सकता है। जिनवाणी अमृत सरोवर के समान है संसार मे कितनी ही आत्माओ ने परमात्मा की अमृतमय वाणी को सुनकर अपनी आत्मा का कल्याण करवा और मोक्ष पाया।

श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया धर्मसभा मे अनेक बहनों और भाईयो ने उपवास,आयंबिल एकासन व्रत के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए तपस्वीयो और धर्मसभा मे पधारे अतिथियों मे ब्यावर मुक्तामिश्री भवन के अध्यक्ष पारसमल लोढ़ा का साहुकारपेट के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, सुरेश डूगरवाल, शांतिलाल दरड़ा, शम्भूसिंह कावड़िया, पृथ्वीराज वाघरेचा मंत्री सज्जनराज सुराणा आदि ने शोल माला और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस.एस.जैन संघ, साहूकारपेट, चैन्नई

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