चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ.सुप्रभा ने कहा होटल, बंगला, धर्मशाला चाहे कहीं भी और कितनी ही भौतिक सुविधाओं और आराम से मनुष्य रह ले आखिर उसे अपने घर जाना ही होता है, घर सभी का प्रिय स्थान है।
घर में दो चीजें प्रमुख हैं वहां के अधिकार और कर्तव्य। इन दोनों का पालन करने वाला ही मनुष्य कहलाने योग्य है। इन दोनों के सामंजस्य से ही घर को स्वर्ग भी बनाया जा सकता है।
घर में विनय, प्रेम और सहानुभूति का गमला हो तो घर महकने लग जाएगा। महापुरुषों के गुणों और जिनवाणी को जीवन में उतारें। साध्वी डॉ.हेमप्रभा ने ‘सामायिक दिवस’ पर कहा सच्चा श्रावक जो संयम लेने में समर्थ नहीं है, वे गृहस्थी में रहकर आगार धर्म पालन करता है।
सांसारिक नियमों का पालन बेमन से करता है। उनके लिए प्रभु ने विभिन्न प्रकार से छोटे-छोटे नियमों को ग्रहण कर संसार रूपी बोझ से विश्राम पाना बताया है। बारह व्रतों का पालन अथवा नवकारसी आदि तप का नियम लेना अल्प विश्राम में आते हैं।
कुछ समय के लिए छोटे-छोटे नियम ले सकते हैं। सामायिक व्रत ग्रहण कर २४ घंटों के तीस मुहूर्त में से कम से कम एक मुहूर्त को अपना बना लिया तो आपकी आत्मा की रक्षा सुनिश्चित हो जाएगी।
धर्मसभा में आचार्य आनन्दऋषि के जन्मोत्सव और साध्वी उम्मेदकंवर की पुण्यतिथि पर 31 जुलाई को गुणानुवाद सभा, सामूहिक एकासन तथा नेत्र शिविर का आयोजन किया जाएगा।