Share This Post

ज्ञान वाणी

वक्रता रूपी व्यवहार से होता अशुभ नाम कर्म का बंध : आचार्य श्री महाश्रमण

वक्रता रूपी व्यवहार से होता अशुभ नाम कर्म का बंध : आचार्य श्री महाश्रमण

*त्रिदिवसीय दक्षिणांचल कन्या कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

*कन्याओं को अपने जीवन में ईमानदारी, नैतिकता, पारदर्शिता जैसे गुणों का विकास करने की दी पावन प्रेरणा

माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि नाम कर्म के दो प्रकार शुभ नाम कर्म और अशुभ नाम कर्म हैं! शुभ नाम कर्म के उदय होने पर स्वस्थ ,सुन्दर शरीर प्राप्त होता है|

यश, कीर्ति, सम्पदा आदि अनूकूल परिस्थितिया उपलब्ध हो जाती हैं| अशुभ नाम कर्म के उदय होने पर अपयश, शरीर अभद्र, वाणी अभद्र आदि प्रतिकूल परिस्थितियां उपलब्ध हो सकती हैं!

आचार्य श्री ने आगे कहा कि जैन आगमों में कर्म के आठ प्रकार बताए गए हैं – इनमें से चार ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीह, अंतराय एकांतत: अशुभ कर्म होते हैं, पापात्मक माने गए हैं, इन्हें घातिकर्म कहा जाता हैं| यानि ये आत्म गुणों को घात करने वाले कर्म के रूप में माना जाते है, इसलिए इन्हें चार घाती कर्म कहा गया है|

बाकी के चार कर्म शुभ और अशुभ दोनों होते हैं| वेदनीय, नाम, गोत्र, आयुष्य ये सब अघाती कर्म के रूप में जाने जाते हैं!

आचार्य श्री ने आगे कहा कि वेदनीय कर्म साता वेदनीय और असाता वेदनीय, नाम कर्म- शुभ और अशुभ; गोत्र कर्म – उच्च और नीच एवं आयुष्य कर्म -शुभ और अशुभ होते हैं| इस प्रकार ये चारों कर्म शुभ और अशुभ दोनों माने गए हैं|

आचार्य श्री ने आगे कहा कि शुभ नाम कर्म का बंधन किस प्रकार बंधता है ? उतर दिया गया की *ऋजुता, विनम्रता ,सरलता अगर जीवन मे है तो शुभ नाम कर्म का बंधन होगा| उदय के समय शारीर, वाणी, यश, कही गयी बात को सभी स्वीकार करेंगे, अनुकूल परिस्थितियां मिल सकेगी|

जबकि विपरीत आचरण, वक्रता पूर्ण व्यवहार करेंगे तो अशुभ नाम कर्म का बंधन होगा और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा|* इस प्रकार हम प्रक्रति से विनम्र बने, अच्छा आचरण करें तो हमको अनुकूल परिस्थितियों का जीवन मिल सकेगा|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि हमें जीवन में वक्रता को त्याग देना चाहिए ! वक्रता यानि असंवादिता , कथनी करणी में असमानता से अशुभ नाम कर्म का बंधन होता है|

अविवेक से हम गलत कार्य कर देते है, बिना सोचे समझे कोई भी निर्णय नहीं करना चाहिए| कथानक के माध्यम से गुरुदेव ने समझाते हुए प्रेरणा प्रदान की कि कोई भी निर्णय हमे आवेश की स्थिति में नहीं करना चाहिए|

साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कहा कि जैसे साधु दीक्षा के बाद गुरू के चरणों में समर्पित हो कर अपना सर्वागीण विकास करता है, उसी तरह श्रावक समाज गुरु आज्ञा के प्रति सर्वात्मना समर्पित होकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करे तो वे आध्यात्मिक विकास की प्रकिया में आगे बढ़ सकते हैं|

*त्रिदिवसीय दक्षिणांचल कन्या कार्यशाला का हुआ शुभारंभ*

अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान, चेन्नई तेरापंथ महिला मंडल की आयोजना में आचार्य श्री महाश्रमणजी के मंगल पाथेय एवं राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती कुमुद कच्छारा के शुभारंभ की उद्घोषणा के साथ *त्रिदिवसीय दक्षिणांचल स्तरीय आंचलिक “पहचान” कन्या कार्यशाला* प्रारम्भ हुई|

दक्षिण भारत के तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरला, तेलांगना व ओड़िशा राज्यों से कन्या मण्डल की 34 शाखाओं से 470 कन्याएँ सहभागीता निभा रही हैं| सर्वप्रथम “पहचान रैली” के रूप में कन्याएँ आचार्य प्रवर के मंगल सान्निध्य में पहुँची|

आचार्य श्री ने कहा कि *कन्याएँ पढ़ाई के साथ आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भी आगे बढ़े| कन्याएँ अपने जीवन में ईमानदारी, नैतिकता, पारदर्शिता जैसे गुणों का विकास करे| यथा संभव प्रत्येक शनिवार को सांयकाल 7 से 8 बजे सामायिक करने का प्रयास करे| जीवन में गुस्सा, आवेश कम हो, सहयोगात्क भावना का विकास हो, तो वे अपने कार्यों में सफलताएँ प्राप्त कर सकती है|

इस अवसर पर अभामम की अध्यक्षा श्रीमती कुमुद कच्छारा, महामंत्री नीलम सेठिया, कन्या मंडल प्रभारी श्रीमती मधु देरासरिया, सहप्रभारी तरूणा बोहरा, चेन्नई महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती कमला गेलड़ा, मंत्री शांति दुधोड़िया के साथ गणमान्य बहनों की उपस्थिति रही|

*श्री गौतमचन्द आच्छा ने 9 की एवं श्रीमती नेहा बरड़ीया ने 8 की तपस्या* का आचार्य प्रवर के श्री मुख से प्रत्याख्यान लिया| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया|

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar