चेन्नई. ओजस्वी प्रवचनकार आचार्य विमलसागर ने शनिवार को कहा सांप को पिलाया दूध कभी अमृत नहीं बनता है। सांप दूध पीकर भी जहर उगलता है। इसी प्रकार उपदेश योग्य पात्र को दिया जाना चाहिए।
मूर्ख को उपदेश देना बेकार है। दुर्जन और मूर्ख उपदेश से शांत नहीं होते बल्कि अधिक गुस्सा जाते हैं। उनसे दूरी और मौन रखना ही समझदारी है। उपदेश ग्रहण करने की योग्यता में ही इसकी महत्ता है।
वेपेरी स्थित बुद्धिवीर वाटिका के प्रांगण में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा वैचारिक सम्यक क्रांति के बिना मानवीय समाज का हित नहीं होगा। सिर्फ पेट भरने या पेटी भरने की कला सीखने से जीवन कल्याण नहीं होगा, जीवन जीने की सही कला आनी चाहिए।
आज बौद्धिक विकास हो रहा लेकिन जीवन मूल्य नष्ट हो रहा है। धन से नहीं सम्यक ज्ञान से जीवन समृद्ध होना चाहिए। उपदेश को सिर्फ शब्द या ध्वनि के तौर पर नहीं हित वचनों के रूप में सुनना और स्वीकार करना चाहिए। भौतिकवाद की अंधी दौड़ में आज धर्मशास्त्रों व आध्यात्मिक भावों का सही मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है।
आचार्य वर्धमान सागरसूरी ने मांगलिक सुनाया। शत्रुंजय तपाराधना के दो चरण हुए। आचार्य विमल सागर की निश्रा में रविवार को दूसरा जागरण शिविर होगा।