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ज्ञान वाणी

भावनाओं के वाइब्रेशन सीधे हृदय को छूते हैं: उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

भावनाओं के वाइब्रेशन सीधे हृदय को छूते हैं: उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

परमात्मा के मार्ग का अंशत: अनुकरण करने वाला करता है दुनिया पर राज

चेन्नई. अपने परिजनों के प्रति प्रेम, समर्पण, दया और करुणा की भावना रखें। भावनाओं के वाइब्रेशन सीधे हृदय को छूते हैं। डिस्टर्ब और डेवलप दोनों प्रभाव आपको आसपास के लोगों से मिलते हैं। भगवान महावीर ने कहा है कि कोई भी जीव जिनके साथ संपर्क में है, उनसे ही परमाणु या ऊर्जा ग्रहण करता है। इसमें संभल जाएं तो जीवन सफल हो जाएगा। कभी भी नकारात्मक शब्द और भावना न रखें। दूसरों को परेशान करने से पहले आप स्वयं परेशान हो जाएंगे।

मंगलवार को श्री एमकेएम जैन मेमोरियल, पुरुषावाक्कम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज का प्रवचन कार्यक्रम हुआ। उपाध्याय प्रवर ने विराधना के सूत्रों के बारे में बताते हुए कहा कि किस प्रकार यह होती है और इसके दुष्चक्र से कैसे बाहर निकला जाए। स्पर्श भी किसी को प्रताडि़त भी कर सकता है और डेवलप भी कर सकता है। किसी से उतना ही कार्य कराएं जितना वह सहन कर सके इससे ज्यादा बोझ देना चाहिए। अतिरेक से बचना चाहिए इसके कारण तन, मन में दुश्मनी की भावना सहज आती है। परमात्मा कहते हैं कि जैस तेरा सामथ्र्य है वैसा काम कर, उससे ज्यादा नहीं।

जीवन में प्रण करें कि कोई नकारात्मक शब्द मुझे कहे तो मैं उसे ग्रहण नहीं करूंगा, उसे होल्ड नहीं करूंगा और उसे लम्बे समय तक मन में नहीं रखंूगा। कोई धोका दे तो समझें कि अच्छा हुआ मेरी गलतफहमी दूर हो गई, यह समझें और प्रसन्न हो जाएं। जैसे ही आपको मौका मिले उन विचारों को अपने मन से निकाल दें। इतना यदि कर लें तो आपका जीवन मंगलमय बन जाएगा।

परमात्मा कहते हैं कि कभी भी स्वयं थकना नहीं और किसी को थकाना नहीं। यह विराधना का सूत्र है। यदि तप न किया तो कम नुकसान है लेकिन तप करते समय थकान आ जाए तो आराधना विराधना में बदल जाती है। किसी को उत्तेजित न करें, एक्साइट न करें। किसी के दु:खों को छेडक़र उसे उपद्रवित न करें। परमात्मा ने कहा है कि किसी को शांति के स्थान से अशांति के स्थान पर प्रतिस्थापित करना विराधना है और किसी को प्रतिकूल स्थान से हटाकर उसे अनुकूल और शांति मिलने की जगह पर स्थानांतरित करना आराधना है, इसे पूर्णत: समझें और अपने आचरण में उतारें।

गांधी जयंती पर दिया उद्बोधन
महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर विश्व अहिंसा दिवस हम अहिंसा और सत्य प्रेमियों के लिए आनन्द का दिन है। जीवन में परेशान करने के प्रसंग अनेक होते हैं, यह संसार का स्वभाव है। लेकिन हमें भ्रमित नहीं होना चाहिए। इसके लिए हमें महात्मा गांधी, उनके गुरु प्रसन्नचंद्र राजर्षी और भगवान महावीर के जीवन का अनुकरण करना चाहिए।

प्रसन्नचंद्र राजर्षी के अनुसार जब हमें मूल साधना और अपने लक्ष्य का बोध होगा तो हम परेशान नहीं होंगे। लक्ष्य को कभी भी भूलें नहीं। महात्मा गांधी के अनुसार हमें अपना लक्ष्य इतना ऊंचा रखना चाहिए कि सारी परेशानियां और दु:ख उसके सामने छोटे रह जाएं। भगवान महावीर ने यह सूत्र दिया है कि केवल कृपा बरसाती हुई दृष्टि हो तो कष्ट देने वाला भी स्वत: ही हार जाएगा। यदि दु:ख देनेवाले के प्रति आपके मन में करुणा का भाव रहेगा तो आप परेशान हो ही नहीं पाएंगे और सामने वाले को झुकना ही पड़ेगा।

राजनीति में अहिंसा, संयम और सत्य की बात नहीं हो सकती थी, वहां पर महात्मा गांधी ने इसके सफल प्रयोग किए और बिना संन्यासा लिए महात्मा कहलाए। उन्होंने सिखाया कि नियमों के छोटे-से बीज से जीवन में कैसे परिवर्तन लाए जा सकते हैं। अपने गुरु से प्राप्त तीन नियम- नॉनवेज, शराब और परस्त्रीगमन का अपने जीवन में त्याग किया। विदेशों में रहते हुए उनके सामने भटकाने के कितने ही प्रसंग आए लेकिन वे अपने पथ से डिगे नहीं।

यह दुनिया उपकारी के पीछे-पीछे चलती है, गांधीजी ने अहिंसा, संयम, साधना का उपयोग देश की समस्याओं के समाधान में किया। वे पारदर्शी रहे, कुछ भी किसी से छिपाया नहीं। व्यक्तिगत संबंधों में कभी तनाव आने नहीं दिया, जिन्हें आज भी दुनिया आदर और श्रद्धा देती है। उन्होंने अहिंसा के अनेकों रूप उजागर किए। अहिंसक के पास असहमति का अधिकार सुरक्षित होता है। अपने जीवन में उन्होंने विराधना के दसों सूत्रों को टाला।

वे प्रार्थना को आत्मा की खुराक कहते थेे। उन्होंने कभी पाखण्ड को आश्रय नहीं दिया। वे हमेशा अंधश्रद्धा से बचे और न्यूनतम आवश्यकताओं में जीवन जीया जो आज भी प्रेरणा देता है। वे अपने अनुयायियों की स्वयं जिम्मेदारी लेते थे और नियम भंग या गलतियों का स्वयं पश्चाताप करते थे। परमात्मा के 12 व्रतों को उन्होंने अपने जीवन में पालन किया। उनके जन्म दिवस पर हमें भी उनसे प्रेरणा अवश्य ग्रहण करनी चाहिए।

तीर्थेशऋषि महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति परमात्मा महावीर के बताए मार्ग का यदि अंशत: अनुशरण भी कर ले तो वह देश, दुनिया पर राज कर लेता है। महात्मा गांधी जिन्होंने बिना शस्त्र के लड़ाई लड़ी, आज उन्हें पूरी दुनिया श्रद्धा से नमन करती है और जो शस्त्रों के बल पर लड़ता है वह दुनिया से हार जाता है। गांधीजी ने अपने वास्तविक जीवन में जैन धर्म के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारा और उन्हीं के बल पर आज श्रद्धा से संसार के करोड़ों लोग उन्हें यादा करते हैं। अशस्त्र, दया, अहिंसा, करूणा पर चलने वाले के पीछे पूरी दुनिया चल पड़ती है। हम सभी तो परमात्मा के अनुयायी हैं हमें उनके बताए मार्ग पर अवश्य अग्रसर होना चाहिए।

संस्कार विकास मंच, साहुकारपेट के सदस्य उपस्थित रहे। सुभाष खांटेड़ के 32वें मासखमण के 26 के पच्चखान हुए। दोपहर में उड़ान टीम द्वारा सूवीर कांपिटीशन का आयोजन किया गया। 8 से 10 अक्टूबर को 72 घंटे का कर्मा शिविर, 16 अक्टूबर को आयंबिल ओली की शुरुआत और सुमतिप्रकाशजी महाराज के जन्मदिवस पर पूरे भारतवर्ष में 8,000 आयंबिल करने का लक्ष्य है। 19 अक्टूबर से प्रात: 8 से 10 बजे तक उत्तराध्ययन सूत्र का कार्यक्रम रहेगा।

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