श्रीहरि सत्संग समिति की 5 दिवसीय भक्तमाल कथा का कला मंदिर में आगाज
कोलकाता. भगवान की भक्ति करने का अधिकार सभी को है। दुनिया में ऐसा कोई नहीं, जिसको भगवान की भक्ति का अधिकार नहीं। वनवासी क्षेत्रों में शिक्षा, संस्कार, आरोग्य, विकास, जागरण, आध्यात्मिक चेतना के लिए श्रीहरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित पंचदिवसीय भक्त माल कथा का उद्घाटन करते हुए कथावाचक अनुरागकृष्ण शास्त्री कन्हैया ने यह उद्गार व्यक्त किए।
कोलकाता प्रेक्षागृह में उन्होंने कबीर के प्रसंग पर व्याख्यान में कहा कि कबीरदास के सिद्धान्तों में भक्ति प्रधान है, क्योंकि उन्होंने कहा था कि किसी भी धर्म में अगर भक्ति नहीं है तो वह अधर्म है। आप ब्राह्मण हैं, मंत्र पढ़ रहे लेकिन भक्ति अगर नहीं तो अधर्म। इसी तरह अगर आप क्षत्रिय हो और आध्यात्मिक या कोई भी कर्म कर रहे, लेकिन भगवान की भक्ति नहीं तो अधर्म है। वैश्य या शुद्र हैं, लेकिन भगवान की भक्ति नहीं है तो अधर्म है। भगवान की भक्ति के लिए ब्राह्मण होना जरुरी नहीं, भक्ति किसी भी शरीर में रहकर हो सकती है।
उन्होंने कहा कि हनुमंतलाल का शरीर वानर का देह था और वानर के देह में भी हनुमानजी ने भक्ति की। उन्होंने इस बात पर खेद जताया हुए कहा कि वोट बैंक के लिए आज हनुमान का उपयोग किया जाना अनुचित है। हनुमान ने स्पष्ट कर दिया कि भले ही शरीर मानव का नहीं, लेकिन मुझसे बड़ा विप्र कोई नहीं। उन्होंने कहा कि काकभुसुंडी ने तो कौवे के शरीर में रहकर भक्ति की। उन्होंने कबीर के प्रसंग को विस्तार से समझाते हुए कहा कि कबीर के आदर्श को समझने के लिए उसके गूढ़ तत्व समझना जरुरी है।
पंचदिवसीय कथा के शुभारम्भ से पूर्व यजमान और अन्य यजमान सजन कुमार बंसल, श्याम सुंदर केजरीवाल, देवराज रावलवासिया, अशोक प्रदीप तोदी, विमल चौधरी, श्याम सुंदर बेरीवाल, सुशील झुनझुनवाला, रमेश अनिल सरावगी, अतुल चुड़ीवाल, सुनिल बंसल, सत्यनारायण देवरालिया, रामानन्द रुस्तगी ने व्यास पीठ का विधिवत् पूजन अर्चन किया।
कथा स्वागत समिति अध्यक्ष सज्जन भजनका ने व्यास पीठ को नमन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। वनबंधु परिषद् के एकल अभियान के प्रमुख बजरंगलाल बागड़ा ने एकल अभियान पर प्रकाश डाला। समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण देवरालिया ने समिति के कार्यकलापों का विवरण प्रस्तुत किया। मंत्री बुलाकी दास मिमाणी ने बताया कि पंच दिवसीय कथा में शास्त्री प्रतिदिन 3.30 से शाम 6.30 बजे तक कथा प्रवचन करेंगे। नीरज हाड़ोदिया ने संचालन किया। रमेश सरावगी, सुभाष मुरारका, महेश भुवालका, विजय माहेश्वरी, सुरेन्द्र चमडिय़ा, मनोज मोदी आदि सक्रिय रहे।