चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा आत्मा को मजबूती से जानने की जरूरत है। इसे नहीं जानने की वजह से लोग भटक रहे हैं। आत्मा निराकार और शुद्ध होती है। वायु से भी हल्की आत्मा होती है लेकिन मनुष्य के कर्मो के बोझ से आत्मा बोझिल बन रही है और भटक रही है।
जीवन मे आगे जाने के लिए आत्मा से बोझ हटाने की जरूरत है। मनुष्य चाहे तो एक मिनट में भी जीवन को सार्थक कर सकता है और न चाहे तो पूरा जीवन भी व्यर्थ कर सकता है। मौत आये उससे पहले जीवन को मोक्ष के मार्ग की ओर मोड़ लेना चाहिए। संसार की उदासीनता में फंसे रहना संवेग होता है और परमात्मा के प्रति सच्चा प्रेम आना निर्वेग होता है।
संसार के प्रति उदासीनता आते ही मनुष्य परमात्मा के प्रति बढऩे लगता है। लोगों को लगता है कि सामायिक कर परमात्मा के करीब आ गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। परमात्मा के साथ योग और संसार के साथ वियोग आने पर निर्वेग गठित होता है।
इस मार्ग पर जो चलेगा उसका जीवन सफल हो जाएगा। रविवार को शालिभद्र जीवन चरित्र पर विशेष नाटक होगा जिसमें देवलोक से उतरे 33 उपहार सभा में भाग्यशाली विजेताओं को दी जाएंगी। उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी, महावीर सिसोदिया, मदन खाबिया उपस्थित थे।