चेन्नई.
ट्टाभिराम जैन स्थानक में विराजित साध्वी प्रतिभाश्री ने कहा नवपद मंत्र अंतरात्माओं के मार्ग में मील के पत्थर का काम करता है। जिस प्रकार पथिक को मील का पत्थर मार्ग का परिज्ञान कराता है उसे मार्ग तय करने का विश्वास दिलाता है। उसी प्रकार नमस्कार महामंत्र अंतरात्मा को साधु, उपाध्याय, आचार्य, अरिहंत और सिद्ध रूप गंतव्य पर पहुंचने का मार्ग दिखाता है अर्थात चारित्र तप प्राप्त करता है। शुद्ध और स्थिर चित्त से इसका ध्यान करने पर विपत्ति, भय और उपसर्ग से रक्षा होती है। यह कवच की भांति रक्षा करता है। आरोग्य, सुख और समृद्धि में वृद्धि करता है। इसकी आराधना करने वाला स्वर्ग और मुक्ति का अधिकारी बनता है। नवपद के जाप एवं आराधना से पाप नष्ट होते हैं व कर्मनिर्जरा होती है और बुद्धि का आध्यात्मिक विकास होता है। संचालन आनंदकुमार चुतर ने किया।