जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने महावीर वाणी के सार रूप नवकार महामंत्र पर बोलते हुए कहा जीवन में अत्यधिक प्रभाव शब्दों का ही बना रहता है! व्यक्ति सुबह शाम कुछ न कुछ बोलता ही चला जाता है बिना बोले रहना हर व्यक्ति से असम्भव हो जाता है। मौन में रहने वाला ही मुनि बन पाता है मगर निरंतर बोलने से तन मन की शक्ति समाप्त होती है कुछ समय मौन रहने का अभ्यास होना चाहिए। कम से कम 10 घंटो के बोलने के बाद 2 घंटो का मौन आवश्यक बतलाया गया! शब्दों से शुभ अशुभ वातावरण का असर होता है!
शब्द भीतर जाकर हमारे शरीर के तत्वों में रासायन पैदा करते है उसी से शरीर की मन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। एक अशुभ असत्य कड़क शब्द के उच्चारण से घर में वातावरण उग्र हो उठता है तो एक शब्द से वातावरण शान्त हो जाता है! इन्ही शब्द शक्ति से आगम निगम वेद पुराण हज़ारों हज़ार ग्रंथो का निर्माण होता आया है! वर्तमान में टी वीं, पुस्तक ई मेल आदि मे भी शब्दों का प्रयोग होता है स्कूल विद्यालय महाविद्यालयों मे भी शब्दों से ज्ञान सीखा व सिखाया जाता है! हमारे भारतीय धर्मों मे शब्दों से ही मंत्रो का निर्माण किया गया है!
जिससे अनेक प्रकार के रोग शोक आधीव्याधिया समाप्त होती है एवं आज भी अल्फ़ाबैट आदि ध्वनिओ से अनेक प्रकार के रोग शान्त होते है! नवकार महामंत्र की नवदिवसीय साधना नव पदों के साथ आज से प्रारम्भ की गई! जिसका विधि विधान के साथ साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा प्रारम्भ कराया गया! प्रथम पद नमो अरिहंतानम के स्वरूप की विवेचना महत्व का प्रतिपादन विस्तार के साथ किया गया! महामंत्री उमेश जैन द्वारा सामाजिक सूचनाएं प्रदान की गई।