Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

धर्म को संभालने के लिए पुण्य जरूरी

धर्म को संभालने के लिए पुण्य जरूरी

भगवान का धर्म यानी शुद्ध धर्म है भगवान का धर्म है निश्चित धर्म है। धर्म को संभालने के लिए पुण्य जरूरी हैl पुण्य का प्रबल उदय हो तो हम घर से थानक जा सकते हैl पाव चल सकते हैं आंखें देख सकती है कान सुन सकते हैं अगर इसके साथ हमारे भाव जुड़े हो तो धर्म का सही मायने से पालन कर सकते हैं। धर्म को समझने के लिए पुरुषार्थ जरूरी है और धर्म को पाने के लिए देवगुरु धर्म की कृपा अवश्य चाहिए।

आज हम देखते हैं धर्म से कितने पैर हैं संसार में कितनी बिजी हैl अगर मुंह पर साम्राज्य प्राप्त कर लिया तो हम तीन लोग के सम्राट बना सकते हैंl आज धनसुख भाई बढ़ते जा रहे हैं मनसुख भाई घटते जा रहे हैंl शांतिलाल जी कहीं दिखाई नहीं देते देवी चंदका तो पता ही नहीं मांगीलाल जी बढ़ते जा रहे हैं और ज्ञानचंद जी रायचंद मुफ्त में राय देते हैं।

शासन के सम्राट शासन के सम्राट केशीश्रमण और अनंत लब्धि निधान गौतम स्वामी इनका सुंदर वार्तालाप उत्तरा ध्ययन सूत्र में चलता है दोनों संतों का मिलन हुआ एक दूसरे का शंका का समाधान करते हैंl बड़ी सुंदरता के साथ शालीनता के साथ विनय कर भगवान के शासन में पांच महाव्रत थे पार्श्वनाथ परंपरा में चार महाव्रत थेl ऐसा क्यों इसके बारे में सुंदर सा विवेचन महासती आगम श्री जी म सा ने बतायाप पू धैर्योश्रीजी म सा ने स्तवन सुनाया। श्री अशोकजी बाठिया ने संचालन किया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar