चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षी ज्योति ने शुक्रवार को प्रवचन के दौरान कहा तीर्थंकर अमृत होते हैं। उनकी वाणी में अमृत होता है। जो भी प्राणी तीर्थंकर परमात्मा की अमृत वाणी का श्रवण करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है।
उन्होंने कहा कि तीर्थंकर देव राग और द्वेष के विजेता होते हैं इसीलिए उनको वीतराग कहा जाता है। उन्होंने राग पर विजय प्राप्त की है। जो राग पर विजय प्राप्त कर लेता है उसका द्वेष स्वत: ही समाप्त हो जाता है और जहां राग होता है वहां द्वेष का जन्म अवश्य होता है।
उन्होंने कहा कि द्वेष का मूल कारण राग ही है। जो राग और द्वेष को जीत लेता है वह वीतरागी बन जाता है। तीर्थंकर देव जैसा दुनिया में कोई देव नहीं है। उनकी भक्ति करने से सारे पाप धुल जाते हैं। संचालन संजय दुगड़ ने किया।