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दान से होता है शत्रुता का नाश: साध्वी सुमित्रा

दान से होता है शत्रुता का नाश: साध्वी सुमित्रा

चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा किसी और से कुछ मांगने के बजाय अपने गुरु से मांगना चाहिए। किसी और से लेंगे तो वह दस जगह बोलेगा लेकिन गुरु देने के बाद भूल जाते हैं। गुरु जीवन को सुधार देंगे और कहेंगे भी नहीं।

इसलिए किसी और के पास जाने से अच्छा गुरु के पास जाएं। गुरु जिसको देते हैं दिल खोल के देते हैं। उनसे बड़ा दानी कोई नहीं हो सकता। गुरु चरणों मे जितना झुकेंगे उतना ऊपर उठते चले जायेंगे। सात्विक दान को सबसे उत्तम दान माना जाता है। दान की माहिया बहुत ही महान होती है। इसका शब्दों मे वर्णन करना सम्भव नहीं हैं।

ऐसा करके मनुष्य अपने जीवन के दुखों को दूर कर सकता है। जो मनुष्य दान नहीं करते उनकी आत्मा बंजर भूमि की तरह होती है। बंजर भूमि पर खेती करना आसान नहीं होता और न ही हरियाली आ पाती है। हरियाली लाने के लिए बंजर भूमि को बदलना होता है।

दान से शत्रुता का नाश होता है और पराये लोग भी अपने हो जाते हैं। गुरु अपने ज्ञान के दान की प्रवृत्ति से ही लोगों के दिल में जगह बना लेते हैं। जीवन में आगे जाना है तो दान देना सीखना चाहिए। जब हम दूसरों की मदद के लिए आगे रहेंगे तो निश्चय ही हमारी भी मदद के लिए लोग तैयार रहेंगे।

दान देने से मनुष्य दूसरो की नहीं बल्कि खुद की मदद करता है। लोग सोचते हैं कि दान देकर दूसरो की मदद कर दी जबकि ऐसा नहीं है दान देकर खुद के जीवन को सुंदर बनाते हैं। उसका फल खुद को ही मिलता है। इसलिए खुद की भलाई के लिए दान करते रहना चाहिए।

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