चेन्नई. अयनावरम जैन दादावाड़ी में साध्वी कुमुदलता ने प्रवचन के माध्यम से भक्तामर की आराधना कैसे, क्यों और कब करें विषय की विवेचना करते हुए कहा कि भक्तामर में मानतुंगाचार्य ने ऋषभदेव की भक्ति श्रद्धा के साथ की।
इसलिए जैन इतिहास में नाम कमा गए। भक्तामर स्तोत्र में आदिनाथ भगवान की स्तुति एवं रिद्धि-सिद्धि से परिपूर्ण स्तोत्र नवस्मरण में भी है। भक्तामर स्तोत्र की रचना मानतुंग आचार्य ने की है। साध्वी ने मानतुंगाचार्य के जीवन का वर्णन किया।
उन्होंने भक्तामर के नौवें श्लोक का सार समझाया। गुरुवार को महामंगलकारी अनुष्ठान एवं साध्वी कमलावती की पुण्यतिथि मनाई जाएगी। जुदाई नहीं विदाई समारोह प्रात: 9.15 बजे आयोजित किया जाएगा।