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तप से स्वच्छ व निर्मल बनती है आत्मा: मुनि श्री कमलकुमारजी

निराहार मासखमण तपोभिनंदन समारोह हुआ आयोजित

सज्जनदेवी रांका ने 31 उपवास के तप का किया प्रत्याख्यान

आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल माधावरम, चेन्नई में विशाल जनमेदनी की उपस्थिति में निराहार मासखमण तपस्या का तपोभिनंदन समारोह मनाया गया। श्रीमती सज्जनबाई रांका धर्मपत्नी श्री ज्ञानचंदजी रांका ब्यावर, पुत्तुर, चेन्नई ने आज मुनि श्री के मुखारविंद से 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
 

इस अवसर पर मुनि श्री कमलकुमारजी ने मंगल उपदेश देते हुए फरमाया कि मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में तपस्या एक बहुत बड़ा साधन है। तपस्या के द्वारा आत्मा पर लगे हुए दुर्गुण रूपी कर्मों को क्षय किया जा सकता है। आत्मा तप से स्वच्छ व निर्मल बनती है। तप के साथ जप, सामायिक, पौषध करते रहने से तपस्या में चार चांद लग जाता है। चलते फिरते तप करना बहुत बड़ी बात है, सोते-सोते तपस्या करना कई बार समस्या बन जाता है। श्रीमती सज्जनबाई रांका ने चलते फिरते हमें मासखमण तप की अनुपम भेंट करके एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। साधु संतों का सच्चा स्वागत त्याग तप से होता है। चातुर्मास में काफी तपस्या होती है, शेष काल में तप करना बहुत बड़ी बात है, आत्म निर्जरा के लिए हमें हमारी शक्ति के अनुरूप प्रतिदिन छोटा-मोटा तप अवश्य करना चाहिए, प्रतिदिन रात्रि भोजन का परिहार, नवकारसी का त्याग, घंटे- घंटे का त्याग यह भी तप है।

जैन धर्म में खाते-पीते मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, आवश्यक है इंद्रियों पर संयम रखना। मुनि श्री ने गीतिका के माध्यम से भी तपस्विनी बहन का तपोभिनंदन किया एवं बहन को ओर अधिक तप के मार्ग में अग्रसर हो ऐसी आध्यात्मिक मंगलकामना प्रेषित की।
  

इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने तपस्विनी बहन के प्रति स्वरचित गीतिका के माध्यम से अपने उदगार व्यक्त किए।
 

मुनि श्री नमि कुमारजी ने तपस्विनी बहन के प्रति प्रमोद भावना प्रकट की एवं प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि तपस्विनी बहन ने पूरे परिवार को संस्कारी बनाया है। अपने सुपुत्र संतोष रांका को उपासक बनाया है। उपासक के रूप में वह धर्म संघ की बहुत बड़ी सेवा कर रहा है। हमें अधिक से अधिक जैन संस्कार विधि का प्रचार प्रसार करना चाहिए। सभी में जैनत्व के संस्कार पुष्ट होने चाहिए। चेन्नई का श्रावक समाज इस कार्य में अग्रणी बने यही मंगल कामना है ।
 

युवा संत मुनि श्रीअमनकुमार जी ने  फरमाया कि सादा जीवन उच्च विचार के साथ बहन ने तपस्या का रंग जमाया है। मंगलकामना करता हूँ कि बहन इसी तरह तप जप में आगे से आगे प्रगति करते हुए स्वयं की आत्मा का कल्याण करते हुए परिवार एवं धर्मसंघ का नाम रोशन करते रहे।
 

तेरापंथ धर्म संघ की समस्त संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़ ने तपस्विनी बहन के प्रति अहो भाव प्रकट किया, उनके उत्तम स्वास्थ्य की मंगल कामना की तथा उपस्थित जनमेदनी का स्वागत किया।

मासखमण तपोभिनंदन समारोह के शुभ अवसर पर मातृ हृदया असाधारण साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने महती कृपा करके मंगल संदेश प्रदान किया, उस मंगल संदेश का वाचन आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल के चेयरमैन श्री प्यारेलालजी पितलिया ने किया। महिला मंडल की बहनों ने तपोभिनंदन पत्र तपस्विनी बहन को भेंट करके उनके उत्तम स्वास्थ्य की मंगल कामना की। प्रवचन के पश्चात चेन्नई के उपासक-उपासिकाओं की संगोष्ठी में मुनि श्री ने कहा कि उपासक साधु और श्रावकों के बीच की श्रेणी हैं।

वे स्वयं अपना विकास करते हुए संघ सेवा में सलंग्न बने रहे। इस अवसर पर बेंगलुरु से समागत टीपीएफ के ट्रस्टी श्री मानकचंदजी बलडोता ने भी अपने विचार प्रकट किए एवं तपस्विनी बहन के प्रति मंगलकामना व्यक्त की।

            स्वरुप चन्द दाँती
          प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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