चेन्नई. शांति पाने व तनावमुक्त जीवन जीने के लिए अनुष्ठान परमावश्यक है। चाहने से कुछ नहीं मिलता। जीवन में कुछ पाना है तो अध्यात्म की यात्रा करनी पड़ेगी। व्यक्ति अध्यात्म को भूल कर बस भौतिकता की इस चकाचौंध में फंस गया। ऋषियों ने कहा है मन के मते ना चलिए अर्थात मन के अनुसार चलोगे तो वह और मनमानी करेगा।
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने कहा अनुष्ठान आत्म साधना का माध्यम है, अनुष्ठान एक औषध, संजीवनी बूटी और कर्म निर्जरा करने का साधन है। शरीर को जैसे भोजन की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह आत्मा के लिए अनुष्ठान जरूरी होता है। यह जाप करके व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। जाप से आत्मिक शांति के साथ ही घर-परिवार व राष्ट्र में शांति होती है।
यह मन कभी तो साहित्य के सुंदर पुष्पों का रस लेता है कभी वहां से उडक़र वासना की ओर दौड़ पड़ता है यह तो पल पल बदलता है क्षण क्षण फिसलता है। ऐसे में इसको समझाएं और इच्छाओं पर ब्रेक लगाएं इस छोटी सी जिंदगी में अरमान बहुत हैं। आज व्यक्ति की जिंदगी इन अरमानों को पूरी करने में लग जाती है इंसान को कैलाश पर्वत जैसे सोने के असंख्य पर्वत भी दे दिया जाए फिर भी उसकी तृष्णा समाप्त नहीं होती उसकी तृष्णा और बढ़ती है इच्छाएं अनंत है।
आकाश का तो कोई छोर हो सकता है लेकिन इच्छाओं का कोई छोर नहीं होता। जीवन का चक्र चलेगा तो इस शाश्वत सत्य को समझ कर जीवन में हम अध्यात्म की ओर बढ़े और धर्म की शरण ग्रहण करें। भगवान शांतिनाथ के अनुष्ठान में हजारों की तादात में श्रद्धालु पहुंचे। 9 अक्टूबर को राहु केतु की शांति के लिए महा मंगलकारी अनुष्ठान होगा।