माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि भाद्रपद नक्षत्र के दो तारे हैं| आकाश अनंत हैं| आकाश के दो भाग होते हैं – लोकाकाश और अलोकाकाश|
अलोकाकाश लोकाकाश से अनंत गुणा बडा हैं|जहां षट् द्रव्य हैं, वहां लोकाकाश हैं| अलोकाकाश में सिर्फ आकाश ही आकाश हैं| लोकाकाश में सिद्ध एवं चारों गति के जीव होते हैं|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि देवता चार प्रकार के बताए गए हैं| उसमें एक हैं ज्योतिष्क| ज्योतिष्क देवों के पांच प्रकार हैं – सूर्य, चंद्र, नक्षत्र, ग्रह और तारे| इन पांचों से आकाश शोभित होता है|
ज्योतिष्क देवों की विवेचना करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि सूर्य में उष्मा हैं, तेजस्वीता हैं और वह प्रकाशकर हैं| मनुष्य के जीवन में ये तीनों गुण पृष्ट होने चाहिए| *तेजस्विता से छोटी चीजें बड़ों को भी वश में कर लेती है| छोटा बड़ा गौण है| बुद्धि, ज्ञान और शक्ति कितनी हैं, यह महत्वपूर्ण हैं| सूर्य से ज्ञानवत्ता ले|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि तीर्थंकर तो महासूर्य होते हैं| सूर्य तो अस्त होते ही अंधेरा छा जाता है जबकि तीर्थकर रात दिन प्रकाश करते रहते हैं| सूर्य तो एक साथ में पूरी दुनिया को आलोकित नहीं कर सकता, पर तीर्थकर तो पूरे लोक को एक साथ ज्ञान और तेजस्विता से आलोकित करते रहते हैं|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि चन्द्रमा से निर्मल आचार की प्रेरणा ले| ग्रहों से दूसरों की अच्छाईयों को ग्रहण करने की प्रेरणा ले| नक्षत्र से स्वयं की बुराईयों को न न कहने की प्रेरणा ले| तारों की तरह हमारे जीवन में सदगुण चमकते रहे, ऐसी प्रेरणा ले|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि आचार्य चन्द्रमा के समान होते हैं, जैसे रात्रि के समय आकाश में चन्द्रमा के आस पास चारों ओर ग्रह, नक्षत्र, तारे चमकते रहते हैं, वैसे ही आचार्य भी चन्द्रमा की चांदनी से युक्त साधु साध्वीयों के बीच शौभायमान होते हैं|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि सूर्य और चन्द्रमा तेजस्विता व शीतलता के प्रतीक हैं| हमारे जीवन में भी तेजस्विता और शीतलता का सन्तुलन रहे| गर्मी भी हो और ठण्ड भी हो| न ज्यादा गर्मी अच्छी और न ही ज्यादा ठण्ड काम की| सूर्य, चन्द्रमा का सन्तुलित समावेश हमारे जीवन में हो|
कलह मुक्त हो जीवन : साध्वी प्रमुखाश्री
साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए आलम्बन की अपेक्षा रहती हैं| पंच सुत्र में एक नया आलम्बन बताया गया हैं कि *जो व्यक्ति समझदार है, विवेकशील है, जिसकी चेतना जागृत है और जो हित – अहित को समझता है, उसके लिए निर्देश हैं कि वह कलह न करे|* साध्वी प्रमीलाश्री ने कहा कि जिसका स्वभाव प्रचण्ड हैं, वह सुखी नहीं हो सकता|
श्रीमती बादल मेहता ने 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान आचार्य प्रवर के श्रीमुख से किया|मुस्कान राकेश बौथरा के गाये गीतों की सी डी आस्था का धाम का लोकार्पण आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़, रमेश कोठारी ने किया| वापी से गुरू दर्शनार्थ आये संघ से श्रीमती मुस्कान बौथरा और छोटा बालक दर्शन भण्डारी ने गीतिका के माध्यम से अपनी श्रद्धा अर्पित की| नरेश मेहता ने अपने विचार व्यक्त किये|
श्री सुरेश बोहरा बने अध्यक्ष
*अणुव्रत समिति, चेन्नई के हुए चुनाव*
अणुव्रत समिति चेन्नई की साधारण सदन आचार्य श्री महाश्रमणजी के मंगल पाठ श्रवण के बाद माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में हुई।
अध्यक्षा श्रीमती माला कात्ररेला ने परम् पुज्य गुरूदेव एवं चारित्र आत्माओं को वन्दन करते हुए अपने कार्यकाल में स्वयं अपने या अपनी टीम की तरफ से किसी तरह की जान – अनजान में हुई अवज्ञा – आसातना के लिए क्षमा याचना की। उसी तरह अपनी कार्यकारणी सदस्यों से अपने कार्यकाल में मिले अतुलनीय सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।
मंत्री श्री ललित आंचलिया ने मंत्री प्रतिवेदन, कोषाध्यक्ष श्री मंगलचन्द ड़ुगरवाल ने आय-व्यय ब्यौरा प्रस्तुत किया। साधारण सदन द्वारा ऊँ ध्वनी की से प्रतिवेदन पारित करने के बाद अध्यक्षा माला कात्ररेला ने आगे की कार्यवाही के लिए निर्वाचन अधिकारी श्रीमान् सम्पतराज चोरडिया को सदन सौपा।
निर्वाचन अधिकारी श्रीमान् सम्पतराज चोरडिया ने भगवान महावीर एवं उनकी श्रमण परम्परा को वन्दन कर नमस्कार महामंत्र का स्मरण किया। उन्होनें आगे की कार्यवाही चलाते हुए कहाँ कि आगामी कार्यकाल के लिए निश्चित समयावधि में अध्यक्ष पद हेतु मात्र एक नामाकंन प्राप्त हुआ।
नामाकंन अपूर्ण होने के कारण सदन से नये अध्यक्ष के लिए नामांकन माँगने पर एक मात्र श्रीमान् अणुव्रत सेवी सोहनराजजी बोहरा के सुपुत्र श्री सुरेश बोहरा का नाम आने पर सर्वसम्मति से आगामी कार्यकाल के लिए अध्यक्ष घोषीत किया।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री सुरेशचन्द बोहरा ने सदन के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उन्होनें विश्वास दिलाया कि परम् पूज्य गुरूदेव के चेन्नई चातुर्मास को स्वर्णिम एवं ऐतिहासिक बनाने के लिए चातुर्मास व्यवस्था समिति के साथ मिल-जुल कर गणाधिपती पुज्य गुरूदेव तुलसी के महान् अवदान अणुव्रत को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करूगा|
अगले कार्यकाल के लिए अंकेषक श्री सुरेश नाहर को मनोनीत किया गया| इस अवसर पर विशेष अतिथि अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री अशोक संचेती ने नवमनोनीत अध्यक्ष को बधाई देते हुए चेन्नई अणुव्रत समिति द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की और आगामी अणुव्रत महासमिति के अधिवेशन में ज्यादा से ज्यादा सहभागी दर्ज करा कर सफल बनाने का आह्वान किया|
अणुव्रत मैराथन दौड़ के सफल आयोजना में सहभागी प्रायोजक एवं कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया|
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़, तेरापंथ सभा मंत्री श्री विमल चिप्पड़, तेयुप परिवार, महिला मण्डल मंत्री श्रीमती शान्ति दुधोड़िया, प्रवास व्यवस्था समिति प्रचार प्रसार विभागाध्यक्ष एवं अभातेयुप जेटीएन प्रतिनिधी स्वरूप चन्द दाँती, एम के बी तेरापंथ सभा ट्रस्ट के मंत्री श्री अरिहंत बौथरा, तेरापंथ सभा भवन ट्रस्ट बोर्ड साहूकार पेट के मुख्यन्यासी श्री इन्द्रचन्दजी डुंगरवाल, तेरापंथ सभा भवन ट्रस्ट बोर्ड, ट्रिप्लीकेंट के मुख्यन्यासी श्री गौतमचन्द जी सेठिया, गुणवंती खांटेड एवं समाज की संघीय संस्थाओं के साथ सम्पुर्ण श्रावक समाज द्वारा नवनिर्वाचित अध्यक्ष का सम्मान कर उनके निर्देशन में हर कार्य में सलग्न बनकर सहयोग का आश्वासन दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री ललित आंचलिया ने एवं आभार ज्ञापन पंकज चोपड़ा ने किया।
*✍ प्रचार प्रसार विभाग*
*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई*