चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम मेमोरियल सेन्टर में विराजित महासती उमरावकंवर ‘अर्चनाÓ की सुशिष्याएं साध्वी कंचनकंवर, साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधाÓ, साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषाÓ, साध्वी विजयप्रभा, साध्वी डॉ.हेमप्रभा ‘हिमांशुÓ, साध्वी डॉ.इमितप्रभा, साध्वी उन्नतिप्रभा, साध्वी नीलेशप्रभा के दर्शन प्रवचन में चेन्नई सहित बेंगलोर, ब्यावर, पाली तथा अनेक स्थानों से श्रद्धालु उपस्थित रहे। प्रात: सामूहिक नमस्कार महामंत्र का जाप किया गया।
साध्वी डॉ.हेमप्रभा ‘हिमांशुÓ, ने कहा कि चातुर्मास की यह अवधि पानी और वाणी का समय है। जिस प्रकार पानी प्रकृति को हरा-भरा बनाता है उसी प्रकार संतों की वाणी भक्तों के हृदय को हरा-भरा बना देती है। वर्षा के आने पर धरा पर फैला कचरा पानी के साथ में बहकर दूर चला जाता है उसी प्रकार संतों के प्रवचनों से मानव के आत्मिक मन में जन्म-जन्मांतर के जमे पापमल का नाश होकर स्वच्छ व निर्मल बन जाता है।
चातुर्मास के समय में वीतराग की वाणी जन-मन को शीतल करती है जैसे कि तपती वसुंधरा को बारिश की बंूदे शीतलता प्रदान करती है। सांसारिक आधि, व्याधियों से तप्त मानव मन इस समय में महापुरुषों के श्रीमुख से निसृत वीतराग वाणी का श्रवण करता है।
वर्षा की यह ऋतु खाने-पीने के लिए नहीं बल्कि ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की आराधना करने का मौसम है। इस धर्म की बारिश का लाभ उठा लें तो जीवन सफल हो जाए, अन्यथा इसके बाद तो पछताना ही पड़ सकता है। इस अवधि को आलस में व्यतीत न करें, सत्संग से अपना ज्ञान का खजाना जितना भरना चाहें भर लें।
15 जुलाई को सामूहिक तेलातप और उपवास, प्रात:9.15 बजे से प्रवचन, 2.30 बजे तत्वज्ञान चर्चा और सायं प्रतिक्रमण के कार्यक्रम रहेंगे। 16 जुलाई को पूर्णिमा पर सिद्धितप आराधना की जाएगी। चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों ने अर्चना प्रीमियर लीग और कर्मा द किड्स प्रतियोगिताओं के बारे में जानकारी दी गई।