चेन्नई. किलपॉक में रंगनाथन एवेन्यू स्थित एससी शाह भवन में रविवार को श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान और आचार्य तीर्थ भद्रसरीश्वर के सान्निध्य में सुधर्मा स्वामी के शिष्य जम्बूस्वामी के जीवन चरित्र पर आधारित भव्य नाटिका ‘राग विराग’ का जीवंत व मार्मिक मंचन किया गया। साथ ही जम्बूस्वामी के जीवन चारित्र पर आधारित चरम केवली ग्रंथ का विमोचन एवं लोकार्पण भी किया गया।
इस मौके पर आचार्य ने कहा हमारी शास्त्र सम्पदा जिनागम की सुरक्षा के लिए महापुरुषों ने बलिदान दिया है। हमारा कर्तव्य बन जाता है कि भावी पीढ़ी को इसे आगे बढाएं। आज के विश्व को इसका लाभ मिले। जम्बूस्वामी इस अवसर्पिणी काल के अंतिम केवली एवं मोक्षगामी थे। कहते हैं जम्बूस्वामी ने मोक्ष के ताला लगा दिया, उनके बाद कोई केवल्य ज्ञानी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा जम्बूस्वामी का चारित्र अद्भुत और अलौकिक है। इस ग्रंथ में खरतरगच्छ, अचलगच्छ, तपागच्छ आदि सब परम्पराओं का समावेश है। इस ग्रंथ के लिए जिन्होंने मेहनत की है उन्हें नाम की आकांक्षा नहीं है। उन्होंने बताया इस ग्रंथ पर आधारित एक उपन्यास भी प्रकाशित होगा।
मुनि तीर्थ तिलकविजय ने कहा जैन धर्म के पास सबसे ज्यादा शास्त्रों के रूप में 30 लाख लिखित हस्तलिपि मौजूद हैं। जम्बूस्वामी का ग्रंथ पहली बार बनाया गया। यह ग्रंथ पांच खण्ड में बना है। इसमें 22000 श्लोकों का संशोधन व सम्पादन हुआ। कार्यक्रम में महानगर के विभिन्न संघों एवं संस्थाओं के लोग ब?ी संख्या में उपस्थित थे।
नाट्य मंचन के निर्देशक शिखर कोचर, जयश्री मोटा और धीरज बोथरा थे। जम्बूकुमार का मुख्य किरदार ने नेविल मोटा ने निभाया। किलपॉक जैन नवयुवक मंडल ने व्यवस्था में अपनी सेवाएं दी।