चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा मानव भव मे आने के बाद भी मनुष्य संसार में दुख, वेदना और अशांति झेल रहा है। ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि लोग खुद की आत्मा को पहचान नहीं पा रहे है।
पुण्य के उदय के बाद मनुष्य को सुख, धन, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। जीवन में धर्म के मार्ग पर चल कर पाप से बचा जा सकता है। आत्मा की खोज बाहर नही बल्कि खुद में करने की जरूरत है। जो खोया ही नहीं उसकी तलाश करने से कुछ हासिल नहीं होगा। आत्मा खोजने से नहीं खोदने से मिलती है।
लेकिन खोदते समय उसका ध्यान सिर्फ आत्मा पर होता है। आत्मा खुद में होती है और लोग अपनी अज्ञानता की वजह से उसे पहचान नहीं पा रहे हैं। अज्ञानता का परत हटते ही आत्मा दिखने लगेगी। जीवन में आगे जाना है तो दूसरों के साथ नहीं बल्कि खुद के साथ प्रतिस्पर्धा रखें।
दुनिया को तो बहुत जाना अब स्वयं की आत्मा को जानने का समय आ गया है। खुद को जाने बगैर दुनिया को जानने से कुछ हासिल नहीं होगा। लोग आपको जिस नाम से जानते हैं, हकीकत में आप वो हो ही नहीं।
आप जो हो उसे आज तक जानने की कोशिश ही नहीं की। जो भव्य आत्मा अपनी आत्मा को खोदने के लिए आगे आएगा उसके जीवन का कल्याण हो जाएगा।