चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने गुरुवार को कहा कि मनुष्य को सुख और दुख उसके कर्मों के हिसाब से ही मिलता है। जिस प्रकार से मनुष्य की परछाई उसका साथ नहीं छोड़ती उसी प्रकार से कर्म भी साथ नहीं छोड़ते।
इसलिए मनुष्य को किसी का बुरा करना तो दूर करने की मन में धारणा भी नहीं लानी चाहिए। मनुष्य के बुरे कर्मों की सजा उसकी जीव आत्मा को मिलती है। यही कारण है कि आत्मा अनंत काल से संसार के अंदर दुखों को झेल रही है।
उन्होंने कहा मनुष्य की राग-द्वेष की भावना ही उसके कर्मों को बांधती है। राग-द्वेष का काम होता है अचानक से समस्या लाना। उन्होंने कहा किसी के प्रति राग-द्वेष की भावना रखने से उनका बुरा हो या न हो पर खुद का बुरा जरूर होता है।
जीवन में आगे जाना है तो इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। लोग अपनी अज्ञानता की वजह से गलत कार्य कर कर्मों को बांध रहे हैं। याद रहे मानव सही इंसाफ करे या न करे पर ऊपर वाला बराबर इंसाफ करता है। बाद में पश्चाताप करने से भी माफी नहीं मिलती है। कर्मों को भोगे बिना किसी को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती।