चेन्नई. मनुष्य अपने जीवन को उज्ज्वल करना चाहता है तो संस्कारों से जुडऩे का प्रयास करे। मनुष्य कितनी ही ऊंचाई पर क्यों न चला जाए अगर संस्कार अच्छे नहीं हैं तो उसकी ऊंचाई बेकार है। अच्छे संस्कार होने पर मनुष्य जीवन को धर्म, तप और त्याग से जोड़ते हुए जीवन में सुझार लाता है। ऐसा करके ही मानव जीवन को सफल और सार्थक किया जा सकता है।
साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा जब भी परमात्मा की भक्ति का अवसर मिले उसका लाभ उठा लेना चाहिए। पुण्य से मिली चीजों को कभी गंवाना नहीं बल्कि उसका पूरा लाभ लेने के लिए तत्पर रहना चाहिए। छोटे बच्चों में जब लगन होती है तो वे धर्म के क्षेत्र में बहुत आगे निकल जाते हंै। युवाओं में दिखने वाली धर्म भावना उनके बचपन के संस्कार दर्शाती है।
इस लिए बचपन से ही बच्चों को धर्म संस्कारों से भावित करना चाहिए। बच्चे जब धर्म ध्यान से जुड़ कर गुरु भगवंतों के सानिध्य में जाते हैं तो अपने शासन ही नहीं बल्कि समाज का भी गौरव बढ़ता है। मनुष्य के संस्कार ही दूसरों के हृदय में स्थान बनाने वाले होते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण भी हैं जिनको देखकर बड़े बड़े श्रावक भी भावुक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि
सागरमुनि ने कहा मनुष्य अपने अच्छे बुरे भावों से ही मार्ग का निर्माण करता है। उसका जैसा भाव होगा वैसा ही उसका मार्ग बनता चला जाएगा। जीवन में सफलता की ओर बढऩे के लिए अच्छे भाव रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा जीवन में अगर प्रकाश चाहिए तो अंधेरे को दूर करना होगा। प्रकाश तभी आएगा जब धर्म का मार्ग चुना जाए।
इससे पहले मुनिगण ने मासखमण तपस्वी सुरेश कोठारी के घर जाकर मंगलपाठ सुनाया। धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी एवं अन्य लोग उपस्थित थे। कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि मंगलवार को विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में जप, तप के साथ युवाचार्य महेन्द्र ऋषि की ५१वीं जन्म जयंती मनाई जाएगी।