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ज्ञान वाणी

आभ्यन्तर तप का साध्य है बाह्य तप: साध्वी कंचनकंवर

 साध्वी मंडल चिन्ताद्रीपेट में

चेन्नई. साध्वी कंचनकंवर अपनी सहवर्तिनी साध्वीवृंद के साथ चिन्ताद्रीपेट जैन स्थानक में विराजित हैं। यहां सोमवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. हेमप्रभा ‘हिमांशु’ ने कहा धार्मिक क्रियाएं तो आज बहुत बढ़ रही हैं परन्तु उनसे जितना लाभ मिलना चाहिए वह मिल नहीं रहा है क्योंकि धर्म-क्रियाएं आडम्बरयुक्त एवं प्रदर्शन की भावना से की जा रही है।

उन्होंने बताया कि कोई भी धर्म क्रिया क्यों न हो वह कष्टप्रद नहीं बल्कि सहज रूप में होनी चाहिए। अपने द्वारा होने वाले धर्म-अनुष्ठान का कोई हिसाब-किताब नहीं रखना चाहिए अथवा उसका किसी तरह का दिखावा न हो इससे व्यक्ति के अहंकार का पोषण होता है। किसी भी तरह का जप-तप या अन्य कोई धर्म क्रिया न करने वालों की कभी निन्दा नहीं करें।

आज बाह्य तप को तो महत्व दिया जा रहा है लेकिन आभ्यन्तर तप के लिए समय नहीं होता। जबकि बाह्य तप आभ्यन्तर तप में प्रवेश पाने के लिए है।

साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने कहा व्यक्ति को किसी भी तरह का आग्रह नहीं होना चाहिए क्योंकि आग्रह भी एक तरह का मिथ्यात्व ही है। मिथ्यात्व आत्मा को पतन की ओर ले जाने और संसार परिभ्रमण कराने वाला है।

इस अवसर पर सामूहिक एकासन, उपवास आदि तप-अनुष्ठान हुए। साथ ही चोरडिय़ा परिवार द्वारा साध्वीवृंद के मंगल प्रवेश की खुशी में छाछ वितरण किया गया। मंगलवार को अन्नदान और बुधवार को जीवदया का कार्यक्रम संघ द्वारा रखा गया है।

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