आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी पर आयोजित हुआ श्रद्धा समर्पण समारोह*
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष के शुभारम्भ पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई की आयोजना में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार एवं मुनि श्री रमेशकुमार, मूर्तिपूजक आचार्य भगवंत श्रीमद् तीर्थभद्रसूरि म.सा., और स्थानकवासी श्रमण संघ की साध्वीश्री डॉ हेमप्रभा ‘हिमांशु’ के मंगल सान्निध्य में लक्ष्मी महल में श्रद्धा समर्पण समारोह समायोजित हुआ!
श्रद्धा समर्पण समारोह* में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार ने कहा कि आज का आदमी कल को देख, *वर्तमान को खोने के कारण वह शारीरिक, मानसिक रुप से दु:खी रहता हैं,* इसलिए व्यक्ति को कल का नहीं, आज के दिन को देखना चाहिए|
मुनि श्री ने आगे कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की अहिंसा यात्रा के मूल सूत्रों में वे कहते थे कि व्यक्ति बेरोजगारी, भुखमरी के कारण हिंसक बनता हैं, अत: व्यक्ति को अहिंसक बनाने के लिए उनकी भूख को मिटाने से ज्यादा, उसके समाने भूख मिटाने का वातावरण उपस्थित करना श्रेयस्कर होगा! *आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने अपने गुरु तुलसी ने जो बताया, कहा, जो दिया, उसे आत्मसात किया,* तभी वे नथु से महाप्रज्ञ, महाप्रज्ञ से आचार्य महाप्रज्ञ और आचार्य श्री महाप्रज्ञ से भगवान महाप्रज्ञ बने| आचार्य महाप्रज्ञ को विश्व जगत के साहित्यकार उनके साहित्य को पढ़कर, उनका सांराश निकालकर अपना आध्यात्मिक विकास करते हैं|
मुनिश्री ने विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञजी को सच्ची श्रद्धा, समर्पण करना है तो उनके बताए विचारों को आत्मसात करना चाहिए एवं *चिन्ता मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेक्षाध्यान को अपनाना चाहिए!*
*प्रज्ञा से पवित्रता की यात्रा का नाम हैं आचार्य श्री महाप्रज्ञ*
मुनि श्री रमेशकुमार ने अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा समर्पित करते हुए कहा कि *विद्या से विनम्रता, प्रज्ञा से पवित्रता की यात्रा का नाम हैं – आचार्य श्री महाप्रज्ञ!*
मुनि श्री ने आगे कहा कि तीन प्रकार के महापुरुष होते है – *आत्मदृष्टा* जो आत्मकेन्द्रित होते हैं, दूसरे *युगदृष्टा* जो युग की नब्ज को देख कर क्रान्तिकारी कार्य करते हैं, और तीसरे महापुरुष होते हैं *भविष्यदृष्टा* जो दो – चार वर्षों की नहीं अपितु सैकड़ों – हजारों वर्षों की सोच अपना कार्य करते हैं, समाज और जनमानस के सामने नवीन अवदान प्रस्तुत करते हैं|
मुनि श्री ने आगे कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ, आचार्य श्री कालूगणी के पास दीक्षा लेकर पहले वे आत्मदृष्टा बने! आचार्य तुलसी के पास रह कर वे युगदृष्टा बने और अपनी *आत्म चेतना का जागरण कर, अपनी प्रज्ञा से वे भविष्यदृष्टा बन गए|* ऐसे महापुरुष को उनकी जन्म शताब्दी पर *विशेष त्यागमय साधना के संकल्प* के साथ मुनि श्री ने श्रद्धा समर्पित की|
*गुरू के प्रति रहे कृतज्ञता के भाव – आचार्य श्री तीर्थभद्रसूरी म. सा.*
मूर्तिपूजक समाज के आचार्य श्री तीर्थभद्रसूरी म. सा. ने कहा कि भगवान महावीर के बताये अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत के सूत्रों को वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने जो हमें बताया है, तो आज उनके शिष्यों, अनुयायीयों का दायित्व है कि वे इस दर्शन को आत्मसात करके अपना जीवन विकास कर परिवार, समाज और देश के विकास में योगभूत बनना चाहिए!
आचार्य ने आगे कहा कि हर *शिष्य, अनुयायी का अपने गुरू के प्रति कृतज्ञता के भाव होने चाहिए!* सही कृतज्ञता यही होनी चाहिए कि मोक्ष मार्ग का जो रास्ता हमें गुरूओं ने बताया, उस मार्ग की ओर हमें अग्रसर होना चाहिए! जहां जिन शासन गरिमा की बात होती हैं, वहा हमें अपना सर्वस्व समर्पण करना चाहिए|
*विशिष्ट व्यक्ति वातावरण को बनाते हैं – साध्वी श्री डॉ हेमप्रभा हिमांशु*
स्थानकवासी श्रमण संघ की साध्वी श्री डॉ हेमप्रभा हिमांशु ने कहा कि आत्मा को आधार बना कर, तेरापंथ के आचार्य होते हुए भी आचार्य श्री महाप्रज्ञजी सम्प्रदायतित आचार्य बने!आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने *भारत के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को भी शान्ति की मिसाइल बनानी सिखाई|*
साध्वी श्री ने आगे कहा कि *व्यक्ति वातावरण से बनते है और विशिष्ट व्यक्ति वातावरण को बनाते हैं!* आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने अपने जीवन में क्षमा और सरलता को धारण कर लिया, उसी से वे आज देश के ही नहीं, अपितु विश्व संत बन गए!
*संत का जीवन स्वउत्थान के साथ परउत्थान के लिए होता हैं|* उस विराट व्यक्तित्व को किसी सीमा से नहीं बांधा नहीं जा सकता! वे तेरापंथ के आचार्य होते हुए भी समग्र जैन समाज के वन्दनीय बन गए|
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री ज्ञानेन्द्रकुमार के मंगल मंत्रोच्चार, महिला मण्डल एवं कन्या मण्डल के मंगलाचरण के साथ हुआ| तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़ ने स्वागत वक्तव्य के साथ श्रद्धा समर्पित की| तेयुप अध्यक्ष श्री प्रवीण सुराणा, महिला मण्डल की निवर्तमान अध्यक्षा श्रीमती कमला गेलड़ा, टीपीएफ मंत्री श्री कमल बोहरा, अणुव्रत समिति की निवर्तमान अध्यक्षा श्रीमती माला कातरेला ने अपनी भावांजली अर्पित की! आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी समारोह के संयोजक श्री पुखराज बड़ौला ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया|
मुनि श्री विमलेशकुमार, मुनि श्री सुबोधकुमार ने अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करते हुए प्रज्ञा को जगाने के लिए प्रेक्षाध्यान साधना को अपनाने की प्रेरणा दी!
मुख्य अतिथि पुर्वाध्यक्ष राजस्थानी एसोसिएशन, तमिलनाडु के श्री कैलाशमल दूगड़ ने कहा कि मैं *तेरापंथ धर्मसंघ के अनुशासन, एकता, संगठन, समानुकूल परिवर्तन के लिए आकर्षित हूँ!* आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने भिक्षु विचार दर्शन से तेरापंथ की विचार धारा को समाज के सामने प्रस्तुत किया! विलुप्त ध्यान पद्धति को प्रेक्षाध्यान के रूप में सम्पूर्ण मानव समाज के सामने प्रस्तुत किया! आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के *विनम्रता, समर्पण, गुरू के प्रति अटूट श्रद्धा* ये तीन विशेष गुण हम सब के लिए अनुकरणीय हैं| *विकास के शिखर पर आरोहण के लिए समर्पण की भावना जरूरी हैं|*
विशिष्ट अतिथि राजस्थान रत्न श्री सुगानचन्द जैन ने श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपनी आवश्यकता को कम कर लेता हैं, वह सुखी बन सकता हैं! आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने हमे *जैन दर्शन और जीवन विज्ञान में जो जीवन जीने की कला सिखाई है, उसको अपने जीवन में धारण कर अपने व्यक्तिव का विकास करना चाहिए!*
प्रमुख वक्ता तमिलनाडु अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य श्री दमनप्रकाश राठोड़ ने कहा कि बालक नथमल जो बचपन में शिक्षा के वातावरण से वंचित रह कर भी, *दीक्षा के बाद आचार्य श्री तुलसी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त कर, लगभग हर विषय पर पारंगत बन आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने अपने साहित्य के द्वारा समाज को मार्गदर्शन दिया!*
तेरापंथ सभा द्वारा अतिथियों का मोमेन्टों, साहित्य के द्वारा सम्मान किया गया| ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गितीका के माध्यम से भावों की प्रस्तुति की|
अभातेयुप एटीडीसी के राष्ट्रीय संयोजक श्री भरत मरलेचा ने अभातेयुप द्वारा आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष पर देश भर में *आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल स्टोर* के शुभारम्भ की जानकारी के साथ तेयुप अध्यक्ष श्री प्रवीण सुराणा, मंत्री श्री दिलीप भंसाली ने बैनर का अनावरण किया|
मुनि श्री सुधांशुकुमार द्वारा जन्म शताब्दी के अवसर पर रचित गीत को महेन्द्र सिंघी ने प्रस्तुति की दी| इस अवसर पर तेरापंथ समाज के श्रावक समाज के साथ जन समुदाय ने उपस्थित रह कर श्रद्धा समर्पण समर्पित किये| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री विनीतकुमार ने किया| आभार ज्ञापन तेरापंथ सभा मंत्री श्री प्रवीण बाबेल ने किया|