चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने शुक्रवार को कहा कि जीवन में जो मनुष्य त्याग करता है उसकी महानता दूसरे लोग गाते है। मनुष्य की आत्मा शाश्वत है उस पर किसी प्रकार का रंग नहीं चढ़ता।
लेकिन धर्म के रंग से उसे महान बनाया जा सकता है। धर्म का रंग सांसारिक रंगो से अलग होता है। मनुष्य की आत्मा अनंत ज्ञान और चारित्र दर्शन से भरी होती है।
साध्वी सुविधि ने कहा वर्तमान में मनुष्य अपने भटकते हुए मन की सुनकर दूसरों के प्रति हर वक्त झगड़े की भावना रखता है। लेकिन जीवन में आगे वही जाता है जो संघर्ष नहीं समझौता करने को तैयार रहता है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई गाली दे तो उसके जबाव में गाली देना ही जरूरी नहीं होता है। अगर गाली देने के बजाय खुद के साथ समझौता कर लिया जाए तो गाली देने वाला भी अफसोस करेगा। मनुष्य की अंतर्रात्मा कभी किसी से मतभेद नहीं चाहती, लेकिन मन हमेशा भटकाने की कोशिश करता है। मन की सुनकर मनुष्य भटकता चला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अच्छी बातो को याद रखो और बुरी बातो को भूल जाओ। ऐसा करने पर किसी के प्रति किसी प्रकार की मतभेद की भावना उत्पन्न नहीं होगी। जीवन में ऊंचाईयों पर जाना है तो संघर्ष के साथ समझौता करना सीखना होगा। कभी कभी झुकना भी अच्छा होता है और झुकने वाला मनुष्य कमजोर नहीं महान होता है।
रविवार को जल संकट निवारण पर विशेष शान्तीनाथ जाप अनुष्ठान होगा।इस अवसर पर अध्यक्ष आनंद मल छलाणी, उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी, महावीर सिसोदीया उपस्थित थे।