Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

अनित्य का अर्थ है क्षणभंगुर या हमेशा बदलने वाला

अनित्य का अर्थ है क्षणभंगुर या हमेशा बदलने वाला

वीरपत्ता की पावन भूमि आमेट के जैन स्थानक में साध्वी विनित प्रज्ञा ने अनित्य भावना को समझाते हुए कहा अनित्य का अर्थ है क्षणभंगुर या हमेशा बदलने वाला। अनित्य भावना हमें यह एहसास कराती है कि इस दुनिया में हमारा भौतिक शरीर, यौवन, सौंदर्य, स्वास्थ्य, धन, कामुक सुख, प्रसिद्धि, पारिवारिक संबंध आदि सब कुछ अस्थायी है और एक दिन नष्ट हो जाएगा। इन क्षणभंगुर चीजों से लगाव इनके खोने पर दुख देता है। हम अक्सर अपने दैनिक जीवन में इस नश्वरता का अनुभव करते हैं और उदास हो जाते हैं।

यह अनित्यता सभी पर लागू होती है। जिस दिन भगवान राम को राजा बनाया जाना था, उसी दिन उनके जीवन में एक अजीब मोड़ आया। उनके पिता ने उन्हें 14साल के लिए वन जाने को कहा! राज्याभिषेक का उत्साह एक पल में उदासी और कयामत में बदल गया।

साध्वी चंदनबाला ने कहा कोई भी कर्मों का फल प्राप्त किए बिना मुक्त नहीं हो सकता। कर्म के आगे किसी का जोर तथा रिश्वत भी नहीं चलती। कर्म एक स्वतंत्र सत्ता है और जीव को प्राणियों को कर्म करने का स्वतंत्र हक है और कर्म फल भी कर्म स्वभाव से ही प्राप्त होता है

साध्वी आनन्द प्रभा ने दमानखा का चरित्र का वाचन किया इस धर्म सभा मैं बेंगलुरु से धर्मी चंद बमकी पधारे जिनका स्वागत श्री संघ ने साल माला से किया इस धर्म संचालन ललित डांगी ने कियाl

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar