चिदम्बरम. सिरकाली जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा कि ऐसे मित्र पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए जो दुख आने पर दूर भाग जाते हों। सच्चे मित्र की पहचान दुख आने के बाद ही होती है। दुख आने पर जो अपने मित्र का साथ देते हैं उनके जैसा कोई नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में कहने के लिए तो बहुत सारे मित्र होते हैं लेकिन उनकी उपस्थिति का कोई मतलब नहीं निकलता है। जीवन में मित्रता एक से ही हो लेकिन ऐसे से हो जो सुख में साथ हो ना हो पर दुख आने पर कभी भी साथ छोडक़र नहीं जाए।
दुख के समय साथ देने के साथ धर्म ध्यान में जोडऩे की सलाह देने वाले भी सच्चे मित्रों में आते है। जो अपने मित्र और सहेलियों को सत्संग से जोड़ते हैं वे अलग होते है। संसार के कार्य तो बहुत हुए अब कुछ हटकर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा सच्चे मित्र भले ही कुछ समय के लिए दूर हो जाते है लेकिन मिलने पर खुशी मिलती है।
आज के समय में लोग एक दूसरे को देखकर जलते है। जिस पर परमात्मा और गुरुजनों की कृपा होती है उनका कोई भी कुछ नहीं कर सकता है। एस. एस. जैन संघ मायावरम के तत्वावधान में रविवार को उपप्रर्वतक विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में कर्नाटक गजकेशरी गणेशीलाल की पुण्यतिथि मनाई जाएगी।