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“श्राद्ध पक्ष में 16 पीढ़ियों के पूर्वज आज आ जाएंगे धरा पर, पितृदोष निवृत्ति का श्राद्धपक्ष में आराधना श्रेष्ठ उपाय”

16 दिनों तक घर परिवार में शांति, समन्वय एवं सात्विकता का भाव बनाए रखना भी आवश्यक 

राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. का पितृपक्ष विशेष प्रवचन एवं पितृ प्रसन्नता हेतु सटीक जानकारी उपाय 

कृष्णगिरी। श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम के पीठाधीपति, राष्ट्रसंत, यतिवर्य, सर्वधर्म दिवाकर परम पूज्य गुरुदेव श्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने कहा कि देव पूजा के बारे में जितना ज्ञान लोगों को मिलता है उतना श्राद्ध पक्ष की जानकारी का अभाव श्रद्धालुओं में नहीं रहता है। ऐसे में श्रद्धालुओं के ज्ञानार्जन एवं श्राद्ध पक्ष में पितृ कृपा की प्राप्ति हो इस बाबत संक्षिप्त उपाय से उन्होंने शुक्रवार को अवगत कराया। पूज्य गुरुदेवजी ने बताया कि शनिवार पूर्णिमा के दिन को दोपहर 12 बजे प्रारंभ होने वाले 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष में पितरों की आराधना प्रारंभ होगी। उन्होंने बताया कि यदि किन्हीं कारणों से परिवारों में पूर्वजों को मानने की मान्यता भी नहीं है तो इन दिनों में जीव दया दान पुण्य अवश्य करना चाहिए अथवा मात्र बिस्किट, शक्कर, आटा इत्यादि भी चीटियों को खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय धर्मशास्त्र में 16 दिनों में 16 पीढ़ियों के पूर्वजों की प्रसन्नता को आवश्यक तथा सर्व समृद्धि प्रदान करने वाला बताया गया है। पूज्य गुरुदेवश्रीजी ने कहा कि लोग अपनी जानकारी के अनुसार तिथि अनुरूप श्राद्ध मानते हैं।अथवा जानकारी न हो तो पूर्णिमा यानी 10 सितंबर के दिन को ही 16 जरूरतमंद लोगों को अन्न दान करना चाहिए फिर प्रथमी तिथि यानि 11 सितंबर को एक व्यक्ति, द्वितीय तिथि को दो व्यक्ति इसी प्रकार प्रतिदिन तिथि के अनुसार उतने ही व्यक्तियों को अन्नदान करना चाहिए तथा आखिरी दिन अमावस्या के दिन 15 पात्र जरूरतमंद व्यक्तियों को अन्नदान (चावल एवं कच्चे केले का दान) करना चाहिए। इसके लिए अपनी खुशी एवं स्वेच्छा से पुड़ी सब्जी व मिठाई इत्यादि दिए जा सकते हैं।

इसके अलावा सामर्थ्य अनुसार भी बेसन के गाठिया (सेव) भी प्रतिदिन 16 दिनों तक कौए को श्रद्धा पूर्वक खिलाए जा सकते हैं। पूर्वजों अर्थात् मुख्यतया दादा–दादी की स्थिति को राहु केतु की स्थिति बताते हुए पूज्य गुरुदेवजी ने बताया कि श्राद्ध पूजा, आराधना करने से राहु-केतु दोष की निवृत्ति हो जाती है, अर्थात सदा के लिए सुख की प्राप्ति होती है, यही नहीं सूर्य चंद्र की स्थिति भी राहु केतु से मिलती है तो भी व्यक्ति के लिए पितृ दोष उत्पन्न होता है ऐसे में पितृदोष निवृत्ति का श्राद्ध पक्ष में आराधना श्रेष्ठ उपाय है। कुल मिलाकर पितृ पक्ष में किया श्राद्ध राहु केतु दोष व सूर्य चंद्र अर्थात् माता-पिता कारक दोष को भी मिटा देता है।

राष्ट्रसंत डॉक्टर वसंत विजय जी महाराज साहब ने बताया कि वर्षों से साधना आराधना की हो, पूर्वजों के नित्य धूप, दीप, पूजन भक्ति की हो लेकिन यदि अभी तक खुशी, समृद्धि, विकास, प्रगति, आनंद प्राप्ति नहीं हो रही है तो इससे तात्पर्य है कि पितृपक्ष तृप्त नहीं हुए हैं। ऐसे में आगामी 25 सितंबर, रविवार, अमावस्या के दिन दोपहर के समय छोटा सा उपाय चावल (कम से कम आधा किलो) व पांच कच्चे केले ब्राह्मण, पुजारी अथवा पात्र जरूरतमंद निर्धन व्यक्ति को दान देना ही चाहिए। इस दौरान उन्होंने बताया कि 16 पीढ़ी के पूर्वज हमारे घर में प्रथम दिन से ही प्रवेश कर जाते हैं इसलिए 10 सितंबर के दोपहर 12 बजे कुतुब मुहूर्त में सभी पितृगण के प्रति वंदन करते हुए हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि सभी पूर्वज हमारा कल्याण करें। उन्होंने बताया कि भारतीय धर्मशास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के 16 पीढ़ी के पूर्वज जो कि स्वत: इस दिन घर में आ जाते हैं, इसलिए श्राद्ध के दिनों में घर परिवार में प्रेम, शांति, समन्वय, सात्विकता रखनी जरूरी है। संस्कार श्रेष्ठ जीवन जीने वाले हमारे पूर्वज हमसे खुश हो ऐसे क्रियाकलाप नित्य करने चाहिए।

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