चेन्नई. साहुकारपेट में विराजित उपप्रवर्तक श्रुतमुनि एवं अक्षर मुनि के सान्निध्य में रविवार को साध्वी प्रभाकंवर की 75वीं दीक्षा जयंती सामायिक के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर श्रुतमुनि ने सदाचार को अपनाने से जीवन में होने वाले परिवर्तन के बारे में बताया।
उन्होंने तीन प्रकार की नाव के बारे में बताया कि पहली नाव पत्थर की होती है जो खुद ना तिर सके ना औरों को तिरा सके। दूसरी नाव पेपर की है जो खुद तिर सके लेकिन लोगों को ना तिरा सके। तीसरी नाव लकड़ी की जो खुद भी तिरे और लोगों को भी तिरा सके। इसलिए हमेशा गुरु भगवन्तों का समागम रखना चाहिए ताकि हमारे जीवन रूपी नाव को भी तिरा सके।
संघ अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी, निर्मल मरलेचा, पंकज कोठारी, गौतम दुगड़ के अलावा मोहनलाल चोरडिय़ा, सुरेशचंद ललवानी, वइसराज रांका, किशनलाल खाबिया तथा शांतिलाल सिंघवी उपस्थित थे। सोमवार सुबह गुरुदेव निर्मल मरलेचा के निवास स्थान पधारेंगे। दोपहर शांति कुंज गोलेच्छा परिवार के निवास पर पधारेंगे। यह जानकारी संघ के मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने दी।