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हनुमान दलित नहीं, राम भक्त : क्षमाराम महाराज

हनुमान दलित नहीं, राम भक्त : क्षमाराम महाराज

हावड़ा. भगवान स्वयं निर्णय लेते हैं कि मुझे कब अवतार लेना है। रावण का अत्याचार जब बढ़ने लगा,तो सभी देवता ब्रह्मा के पास गये और उन्होंने उनसे प्रार्थना की, तब भगवान ने कहा कि मैं मानव रूप में अवतार लूंगा। इसे सुनकर ब्रह्माजी ने देवताओं से कहा कि आप लोग वानर रूप धर पृथ्वी पर जाइये और भगवान की सेवा कीजिए। आजकल हमारी पुरानी परंपराओं और आस्थाओं पर विवाद चल रहा है, जो दु:खद है।

हनुमान जी दलित नहीं, रामभक्त थे. आजकल जिस अर्थ में दलित शब्द का प्रचलन बढ़ा है, वह नासमझी ही है। हनुमान पवनपुत्र केशरीनंदन थे और भगवान के परम भक्त। उन्हें संकीर्ण सीमाओं में बांधना, समझना गलत है। यह हमारे शास्त्रों के संगत के अनुरूप भी नहीं है। भगवान राम प्रात: उठते ही अपने माता-पिता और गुरुजनों का प्रणाम करते हैं।

हमें कभी भी माता-पिता का अनादर नहीं करना चाहिए। बड़े आदमियों के पास कई गुण होते हैं,उनका गुण हम उनसे आशीर्वाद पाकर ही हम ग्रहण कर सकते हैं। पुष्प वाटिका में राम सीता को देखते हैं, तो उनमें सहज प्रेम दिखता है। यह प्रेम सनातन है। जनकपुर में घूमते हुए राम को देख कर सखियां कहती हैं कि इन्होंने ही अहिल्या का उद्धार किये, हो सकता है कि ये धनुष भी तोड़ दें।

व्यक्ति को आशावादी होना चाहिए. ये बातें हावड़ा सत्संग समिति के तत्वावधान में श्रीरामचरित मानस पाठ का परायण करते हुए सिंहस्थल पीठाधीश्वेर क्षमाराम महाराज ने हावड़ा हाउस के सभागार में कहीं. कार्यक्रम को सफल बनाने में संतराम पाल, पंडित सुरेश सहल,निर्मला-मनमोहन मल्ल, सुधा-पवन पचेरिया, पुरुषोत्तम पचेरिया, हरिभगवान तापड़िया आदि सक्रिय रहे. कार्यक्रम का संचालन महावीर प्रसाद रावत ने किया।

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