कोडमबाक्कम वडपलनी श्री जैन संघ प्रांगण में आज शुक्रवार तारीख 23 सितंबर को प.पू सुधा कवर जी मसा ने फ़रमाया कि स्वाध्याय करने से ज्ञानावरणीय कर्मों का क्षय होता है! भारतीय संस्कृति में स्वाध्याय का नाम गुंजायमान रहता है! स्वाध्याय एक ऐसा शुद्ध तप है जो आत्मा को महात्मा और महात्मा को परमात्मा की ओर जाने में सहायक होता हैं!
आंख पर पट्टी बांध देने से कुछ दिखाई नहीं देता! लेकिन पट्टी का आवरण हटते ही सब कुछ साफ दिखाई देता है। बादल से घिर जाने के बाद कभी-कभी घोर अंधेरा छा जाता है! लेकिन हवा चलते ही बादल छंटते ही सूरज का प्रकाश हर जगह फैल जाता है! वैसे ही आत्मा का आवरण हटाने में स्वाध्याय बहुत जरूरी है! स्वाध्याय विधि पूर्वक पठन-पाठन के साथ करना चाहिए! स्वाध्याय का मतलब है स्व अध्ययन या स्व निरीक्षण! स्वाध्याय करने वाले संतो की सेवा करते करते मंद बुद्धि वाले शिष्य को भी केवल ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है! वर्तमान में 32 आगम उपलब्ध है!
प.पू. प्रखर वक्ता विजय प्रभा जी मसा ने फरमाया के मंत्रों में सबसे बड़ा मंत्र नवकार महामंत्र है! नवकार, राग द्वेष को कम करके सिद्धि को प्राप्त करने वाला है! नवकार मंत्र के जाप से सूली भी सिंहासन बन जाता है और सभी कार्य संपन्न हो जाते हैं!
राजस्थान में गुरुणी मैय्या गुलाब कंवर जी मसा अपने शिष्य मंडली के साथ शाम को विहार कर रहे थे तब बारिश आने की वजह से एक पगडंडी से भटक गए और जब सही रास्ता ना मिला और शिष्य मंडली घबराने लगी तब उन सभी ने वहीं पर बैठकर नवकार महामंत्र का जाप किया और थोड़ी ही देर में वीरान जगह पर झाडी से 12 साल का बालक बाहर आता है और उन्हें रास्ता बताते हुए उस गांव तक ले जाता है जहां पर गांव के मकान दिखाई देते हैं और सही जगह पर पहुंचते ही वह बालक अदृश्य हो जाता है!
यह मंत्र सर्प दंश के बाद उसके विष के प्रभाव को भी कम कर देता है! शुद्ध मन जाप से सभी प्रकार की व्याधि और आने वाले चिंताओं का निवारण होता है!