जीवन की समस्याओं से भागें नहीं, डटकर सामना करें
चेन्नई. रविवार को पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम जैन मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधा’ ने कहा कि चार अक्षर एक शब्द सफलता जो संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है। लेकिन यदि नहीं मिल रही तो उसका क्या कारण है यह हर व्यक्ति जानना चाहता है।
जैन दर्शन कहता है कि सफलता के लिए पांच हेतु का संयोग जरूरी है। काल, स्वभाव, कर्म, पुरुषार्थ, नियतिवाद मिलकर सफलता तय करते हैं। काल निरंतर गतिमान है, न भूत, न भविष्य, एकमात्र वर्तमान ही आपके वश में है। निरंतर स्वाध्याय करें, जिनवाणी करें और अपने ज्ञान में वृद्धि करें।
साध्वी डॉ.हेमप्रभा ‘हिमांशु’ ने आज के परिप्रेक्ष्य में जीवन में आनेवाली समस्याओं समस्याओं और उनसे मुकाबला करने के गुर बताए। उन्होंने कहा कि जीवन के मैदान में खड़े होकर समस्याओं को ललकारने की कला हमें आनी चाहिए। जिन्दगी बिना जवाब का सवाल है और मौत बिना सवाल का जवाब। समस्याओं के बीच रहकर यदि टेंशनमुक्त रह सकें तो कभी दुखी नहीं हो सकते।
इन्हें तपस्या मान लिया तो इनसे पार हो सकते हैं। महापुरुषों ने तीन ए को अपनाने की सलाह दी है। पहला- एसेप्ट करो। बाधाओं की चुनौती को स्वीकार करें तो बाधाएं बाधा नहीं रहेगी। दूसरा- एडजस्ट कीजिए। जैसी परिस्थिति है उसमें जीना सीख जाएं, हर परिस्थिति में अपना शरीर और मन स्वस्थ रखना सीख जाएं, यह कला हमें आनी जरूरी है। तीसरा-अचीव करें। पहले दोनों बातें आपने अपना ली तो तीसरा ए अपने आप प्राप्त हो जाएगा।
कच्ची मिट्टी का घड़ा आग में रखने पर उसे स्वीकार करता है, उसमें एडजस्ट होकर तपता है और उसके बाद पक्का मटका बनकर सुदृढ़ता को अचीव करता है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो प्रभु महावीर ने संयम को एसेप्ट किया, तपस्वी जीवन के कष्टों को जान और तपस्या में विभिन्न कष्टों को सहकर भी समभाव से स्वयं को एडजस्ट किया तथा उसके बाद मोक्ष को अचीव किया। कल के अनुभव को वर्तमान में उपयोग करें तो वह आपका भविष्य की सारी अपेक्षाओं को पूर्ण कर सकता है। जीवन में आनेवाली समस्याओं से कभी भागें नहीं, बल्कि डटकर सामना करें, स्वयं को उनमें ढाल लें। इन तीनों में प्रवीण हो जाएं तो कोई समस्या आपको दुखी नहीं कर पाएगी।
धर्मसभा में एपीएल प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। अनेकों तपस्वीयों ने पच्चखान लिए। सुमित्रा चोरडिय़ा के २१ की पच्चखावणी हुई जिनका चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों ने स्वागत किया। भरत भिडक़चा और सुभाष कोठारी ने अपने विचार व्यक्त किए। सामान्य प्रश्नोत्तरी परीक्षा का आयोजन हुआ।