चेन्नई. कांकरिया हाउस किलपाक में विराजित साध्वीश्री इंदुबाला म.सा श्री सुमतिप्रभा म.सा श्री मुदितप्रभा म.सा के चातुर्मास प्रवचन के दौरान साध्वी मुदितप्रभा म.सा. ने जिनशासन की पुकार क्लास में इस सप्ताह के विषय ‘मी एंड माई हैपीनसÓ पर आज का विषय लेटस गो यानी (पकड़ो मत छोड़ दो) पर उद्बोधन दिया।
उन्होंने कहा सुख मेरी आत्मा का स्वभाव है। आपने स्वार्थ से सुख देखा पर नजऱ नहीं आया, अहम के भावों में सुख देखा, सभी जगह सुख की खोज की पर कहीं नजर नहीं आया फिर अंतरमन से आवाज आई कि मैं तुम्हारे ही भीतर ही हूं। हमारा सुख कोई भी नहीं छिन सकता। सिर्फ हमारी आदतें ही हमारा सुख छीन सकती है।
इस संसार में सुख के साधन हमें कभी पूर्ण रूप से सुखी बनाने वाले नहीं होते हैं। हमें वास्तव में सुखी बनना है तो सबसे पहले अपने क्रोध और अपेक्षाओं को त्यागना पड़ेगा। जब हम हमारी अपेक्षा को अलविदा कर देगें तो हमारे भीतर आनन्द ही अलग महसूस होगा। बदला लेने का अच्छा तरीका है किससे बदला लेना ही नहीं।
साध्वीश्री इंदुबाला म.सा ने प्रवचन माला में कहा कि स्वस्थ चित में शुभ स्वप्न आते हैं। अस्वस्थ चित में अशुभ स्वपन आते है। प्रभु मार्ग दिखाते हैं और मंजिल बताते है। मार्ग व मंजिल तक पहुंचने का काम तो हमे खुद को ही करना है। खुद से खुद को जोडने के लिए अगाम ही है।आगम ही दर्पण है। यह जानकारी किलपॉक संघ के अध्यक्ष श्री सुगंचन्द बोथरा ने दी