चेन्नई. मईलापुर जैन स्थानक में विराजित साध्वीवृंद कंचनकंवर ने कहा संसार में सुख व दु:ख दोनों हैं। जहां अनन्त सुख है वहां अनन्त दु:ख भी है। प्रभु महावीर ने कहा है कि दु:ख का अन्त हो सकता है, सुख का नहीं।
सिद्ध भगवान अनन्त सुखों में लीन है, महासुख का कोई अन्त नहीं है। सुख को पाने के लिए कथनी व करनी में एकरूपता होगी तो ही सुख की प्राप्ति संभव होगी। साध्वी इमितप्रभा ने कहा हमें किसी व्यक्ति के रूप नहीं उसके गुणों को देखना है। रूप का प्रभाव आंखों तक ही रहता है जबकि गुणों से हृदय प्रभावित होता है।
मईलापुर से विहार कर साध्वी कंचन कंवर व डॉ. सुप्रभा अन्य सहवर्तिनी साध्वीवृंद के साथ सोमवार सवेरे मईलापुर स्थानक से विहार कर ट्रिप्लीकेन के महावीर भवन पहुंचेंगी जहां वे 21 मई तक प्रवासित रहेंगी।
यहां उनके सान्निध्य में सुबह 6.30 बजे प्रार्थना व प्रवचन 9.15 बजे तथा बाद में अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।