Share This Post

ज्ञान वाणी

साधु और गुरु इस देश की आध्यात्मिक अभिभावक: आचार्य पुष्पदंत

साधु और गुरु इस देश की आध्यात्मिक अभिभावक: आचार्य पुष्पदंत

चेन्नई. साधु और गुरु इस देश की आध्यात्मिक अभिभावक है। साधक भक्त या शिष्य कभी बड़ा नहीं होता। हमेशा बालक ही रहता है। इसलिए भगवान की वाणी को जिनवाणी मां कहा गया है। उस शिष्य की प्यास कभी पूरी नहीं होती जो मानसिक रूप से शरणागत है।

कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि प्रेम में दोष दिखाई नहीं देते। यदि दिखाई दिए तो उनको दूर करने के बदले सेवा का भाव होता है। यही प्रेम है।

आप किसी के प्रेम, श्रद्धा में दोष खोजते हो। प्रेम में विरक्ति नहीं आती आसक्ति आती है। प्रेम में तीन चीजें नहीं होती दूरी, देरी और दुराव। प्रेम पल में प्रकट हो जाता है। प्रेम वर्तमान में जीता है। प्रेम में दुख भी सुख जैसा लगता है। परम प्रेम का फल है परमात्मा। प्रेम कभी घटता नहीं और उसमें कभी सूखापन नहीं आता। प्रेम में कभी भय नहीं होता।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar