चेन्नई. तंडियारपेट स्थित समता भवन में विराजित जयधुरंधर मुनि का आध्यात्मिक मिलन एम. सी रोड जैन स्थानक से विहार कर यहां पहुंची साध्वी कंचन कंवर और अन्य साध्वीवृंद के साथ हुआ। इस अवसर पर मुनि ने कहा साधु साध्वी का आपसी मिलन पारस्परिक सौहार्द एकता एवं सामंजस्यता का प्रतीक होता है ।
वर्तमान युग में सांप्रदायिक संकीर्णता से ऊपर उठकर उदारवृत्ति को अपनाना चाहिए। सुखी होने के लिए सहयोग, सामंजस्य, सहनशीलता, स्नेह और समर्पण इन 5 सूत्रों को अपनाना होगा। परस्पर सहयोग से ही यह जीवन चल सकता है। कोई भी व्यक्ति एकाकी जीवन नहीं जी सकता।
जो दूसरों का सहयोग करता है उसे ही सहयोग प्राप्त होता है। जहां सहयोग है वहां सुख एवं शांति है। सामंजस्यता के अभाव में विघटन एवं टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। संगठन में ही शक्ति होती है । विघटन में नुकसान ही नुकसान होता है जिससे व्यक्ति दुखी हो जाता है।
मुनि ने कहा सहन करने वाला ही जीवन में सफल होता है।
प्रेम वह शक्ति है जिससे नफरत की दीवारें टूट जाती हैं। सभी के उपकारों को ध्यान में रखकर उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखने पर ही परस्पर सहयोग की पराकाष्ठा सिद्ध होगी।
जहां समर्पण होता है वहां किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं रहती। मुनिवृंद यहां से विहार कर मंगलवार को कालादिपेट जैन स्थानक पहुंचेंगे जहां13 मई तक विराजेंगे।