चेन्नई. जन- जन की आस्था के आयाम कर्नाटक गजकेसरी गणेश लाल म.एक सच्चे संत के साथ साथ एक सच्चे देशभक्त भी थे। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए न केवल उन्होंने अपितु हजारों भक्तों ने भी जीवन भर खादी के वस्त्र धारण करने का उनकी सद् प्रेरणा से संकल्प लिया। यह विचार – ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन साहुकारपेट में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कर्नाटक गजकेसरी जी का जीवन चरित्र संघर्षों की दास्तान है।
जीवन की प्रारंभिक अवस्था में ही माता-पिता व भाई का मृत्यु के मुख में असमय ही चले जाना उनके मानस में छिपे वैराग्य बीज को अंकुरित कर गया। हालांकि किशोरावस्था पार करते-करते उन्होंने व्यापार अच्छा जमा लिया था, नाम भी कमा लिया, विवाह के प्रस्ताव भी आने लगे थे। परंतु एक मारणांतिक रोग के कष्ट ने बहुत करीब से उन्हें जीवन की नश्वरता का बोध करा दिया। फलस्वरूप उन्होंने गुरु चरणों में जैन मुनि दीक्षा धारण कर ली।
साधु जीवन अपनाते ही उन्होंने अनेक प्रकार की कठोर तप साधनाएं प्रारंभ कर दी। फलस्वरूप अनेक प्रकार की ऋद्धि सिद्धियां उनके जीवन में प्रकट हो गई। अनेक स्थानों पर धर्म के नाम पर चलने वाली पशु बलि को उन्होंने बंद करवाया। जो लोग मिथ्या व अंध श्रद्धा में इधर-उधर भटक रहे थे उन्हें सम्यग दर्शन की सच्ची राह बताई। लगभग साढ़े चार एक समय वर्षों तक उन्होंने एक समय भोजन (एकाशन) कर पैंतालिस आगम (धर्म ग्रंथों) का संपादन किया। वे एक दूर दृष्टा, भविष्य द्रष्टा महापुरुष थे।
उनकी साधना के प्रभाव से ऐसा चमत्कार उत्पन्न हो गया था कि- उनके श्री मुख से मंगल पाठ सुनने मात्र से ही लोगों के जीवन के अनेक कष्ट दूर हो जाते थे तथा मन इच्छित कार्य सिद्ध हो जाते थे। यहां तक कि भूत प्रेत आदि बाधाएं भी उनके जप स्मरण मात्र से दूर हो जाती थी। वे गौ सेवा के लिए विशेष प्रेरणा देते थे। आज भी उनके पावन धाम जालना में हर अमावस के दिन हजारों लोग अपनी श्रद्धा-भक्ति लेकर पहुंचते हैं। ऐसे सद्गुरुनाथ की पावन जन्म जयंति पर हम उनके संयम साधनामयी जीवन के प्रति शत शत नमन वंदन अर्पित करते हैं। श्रीसंघ के उपाध्यक्ष गौतम चंद मुथा एवं पृथ्वीराज बागरेचा ने बताया- रविवार को जैन भवन के प्रांगण में गुरु गणेश जन्म जयंति सामायिक एवं गुणगान सभा के रूप में मनाई जाएगी।